साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Wednesday, December 15, 2021

अनुवांशिकता -सुरेश सौरभ

लघुकथा

सुरेश सौरभ

बाजार से किताबों का गट्ठर लाया, उसे बैठक में रख, जैसे ही सुस्ताने के लिए कुर्सी पर वह पसरा, पत्नी ने उसकी एड़ी देखकर हैरत से कहा-कितनी बार आप की ऐड़ियों में क्रीम लगाया, पर यह तो फटती ही रहती हैै। दर्द  नहीं होता क्या आप के?

       "होता है,पर क्या करें?"-पति

       "इसलिए कहती हूँ कि हमेशा जूता पहना करें,पर आप मेरी सुनते कहाँ हैं, जब देखो तब चप्पलें ही पहन कर निकल लेते हैं-पत्नी कुढ़ कर बोलीं।

     "दरअसल मेरे पिता जी एक गरीब मजदूर थे, बड़ी मुश्किल से वह अपनी चप्पलें ही खरीद पाते थे, इसलिए हर मौसम में वह अपनी पुरानी-धुरानी चप्पलें ही पहन पाते थे।"

    "आप तो गरीब नहीं हैं, आप तो सरकारी अध्यापक हैं-पत्नी ने मुँह फेरकर कहा।

       "तुम जानती हो मैं कभी-कभी जूते भी पहन लेता हूँ, पर यह ऐड़ियां फटना बंद नहीं होती। लगता है, यह दर्द मुझे अनुवांशिक ही मिला है। यह दर्द महसूसते हुए, गरीबों मजदूरों के दर्द का आभास करता रहूँ,शायद इसलिए यह दर्द नहीं जाता,शायद इसलिए ये ऐड़ि़यां मेरी हमेशा फटती रहतीं हैं। शायद ईश्वर की यही इच्छा है।"

   अब पत्नी पति के करीब आई। पति की आँखों में झाँकने लगी-जहाँ कोई नमी तैर रही थी। अब वही नमी धीमे-धीमे पत्नी की आँखों में भी तैरने लगी। पत्नी ने भरेे गले से कहा-तुम्हारा यह शायद बड़ा प्यारा लगता है। और बहुत तकलीफ भी दिल को देता है।"

    अब पत्नी उन पुस्तकों को ताक रही थी, जिसे गरीब बच्चों को निःशुल्क देने के लिए उसके पति अपने पैसे से, बाजार से खरीद कर लाये थे।

     पति ने किताबों का वह गट्ठर उठाया। चप्पलें पहनीं और चल पड़ा। तब पत्नी ने टोका-तुम न सुधरोगे। पति ने पलटकर कर कहा-सरकारी स्कूल जा रहा हूँ,संसद नहीं?ज्यादा सूट-बूट में जाऊँगा, तो अपनी क्रीज़ ही बनाता रहूंगा। गरीब बच्चों को क्या पढाऊंगा।

  पत्नी उसे खाने का टिफिन पकड़ाते हुए उसकी फटी मैली ऐड़ियों की तरफ देखकर बोली-काश यह दर्द हर आदमी को मिलता ?

   ‘सबका को, यह सौभाग्य ईश्वर कहाँ देता-पलट कर पति ने कहा और लंबे-लंबे डग भरता चल पड़ा। जैसे भक्त अपने भगवान की तलाश में अधीरता से भागा चला जा रहा हो। 

निर्मल नगर लखीमपुर-खीरी पिन-262701

मो-7376236066

 

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