साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Saturday, December 25, 2021

सुनो सेंटा- डॉ नूतन सिंह

  कविता  



तुम इंडिया में,
डॉ नूतन सिंह
पता- लखीमपुर-खीरी
उत्तर प्रदेश
मिस्टर इंडिया बने क्यों घूमते हो,
दिखते क्यों नहीं?

रात में-
गुदगुदे बिछौनो में सोते बच्चों को ही 
चाकलेट देते हो?
आज कुछ तूफ़ानी करो-
कुछ नया करो,
इस क़ुहरे भरी सुबह
केतली  में गरम चाय क्यों नहीं बाँटते? 
हो सके तो-
बिस्कुट या रस भी साथ ले लो
और बुला लो हमें भी,
तुम्हें बताती हूँ.

पंचर बनाने वाला सुबह-सुबह
पुराने टायर जला के-
ना जाने हाथ सेंक रहा था या फेफड़ा
क्यों न ऐसा करो 
उसकी दुकान के आगे  
थोड़ी सूखी लकड़ियाँ गिरा दो

और वो
पेट्रोल पम्प के बग़ल वाले छप्पर के
बाहर रखे सिल-बट्टे पर 
थोड़ी धनिया नमक हरी मिर्च ही रख आओ
चटनी-रोटी के साथ 
बुझ जाएगी पेट की आग

या
एक दिन अपनी (घोड़ा) गाड़ी
दे दो उन बच्चों को
जो दिन भर 
पत्थर मार के तोड़ते रहते हैं इमली या बेर

और हाँ 
सामने वाले पार्क का अकेला चौकीदार
जो अपने से  कुछ बुदबुदाता रहता है 
उसे ?
उसे मोज़े और चाकलेट 
हरगिज़ नहीं
स्वेटर कम्बल भी नहीं
सिर्फ़ बतियाने को कुछ लोग
दे सकते हो?

No comments:

पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

सबसे ज्यादा जो पढ़े गये, आप भी पढ़ें.