साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Friday, December 10, 2021

नीमसार-सुरेश सौरभ

लघुकथा
    ट्रेन के एक डिब्बे में मैं बैठा था । नीमसार जाने के लिए एक पीले वस्त्र धारी से चर्चा आरंभ हुई वे बोले-बेटा तुम्हारी जात क्या है। मुझे हंसी आ गई- लड़खड़ाते शब्दों को बटोरकर बोला- मेरी कोई जात नहीं , कोई धर्म नहीं , जैसे आप संतों की कोई जाति धर्म नहीं होता ।
वे व्यथित हो पड़े , कुछ पल बाद हमारा डिब्बा छोड़कर अन्यत्र डिब्बे में चढ़ गये । नीमसार तक जाने का उनका-हमारा साथ टूट गया । 
ट्रेन चली । एक स्टेशन पर रुकी । मैंने देखा एक नल की टोंटी में तमाम लोग जल्दी-जल्दी एक दूसरे को धक्का मारते हुए पानी पी रहे हैं , भर रहे हैं । किसका जूठा पानी किस पे गिरा , किसका शरीर किससे लड़ा , किसका लोटा , किसकी बोतल से भिड़ा , किसी को होश न था ।
ट्रेन ने दूसरी सीटी मारी । वे भरभरा कर एक ट्रेन के कई डिब्बों में घुसते चले गये । आखिर ये किस-किस जात के थे ?
                    
निर्मल नगर लखीमपुर-खीरी
उत्तर प्रदेश
मो-7376236066

पढ़िये आज की रचना

मौत और महिला-अखिलेश कुमार अरुण

(कविता) (नोट-प्रकाशित रचना इंदौर समाचार पत्र मध्य प्रदेश ११ मार्च २०२५ पृष्ठ संख्या-1 , वुमेन एक्सप्रेस पत्र दिल्ली से दिनांक ११ मार्च २०२५ ...

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