साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Wednesday, December 22, 2021

अपनी संतान को बेनाम रखूँगा-कपिलेश प्रसाद

   कविता  

कपिलेश प्रसाद
न राम रखूँगा ,
न श्याम रखूँगा
न मुरारी ,
न त्रिपुरारी
न ब्रह्म , न इन्द्रासन
न राधा , न सीता
न गौरी , न गणेश
न महादेवा
न अंजनिपुत्र हनुमान रखूँगा ,
तुम्हारे इन सम्बोधनों से पृथक
तुम्हारे मिथकों से दूर 
भला हो
अपनी संतान को मैं तो
बेनाम रखूँगा ।
 
संस्कृति की कुछ धरोहरें
हैं शेष हमारे पास भी ...
प्रकृत्ति की नेमत हैं हम
नाम से विकृत नहीं कर पाओगे
हम स्वयं में बृहद ,
नहीं कपोल-कल्पित
कर्मेक्षा नामधारी हैं ।
 
मंगरू - मँगला , बुधना -बुधनी
सोमारू और  शनिचरा
मराछो और एतवारी ,
लालो और गुलबिया
क्या-क्या नहीं हँकाया हमको ... !
 
हरि था तुमको अति पावन ,
और वह हो गया हरिया ?
 
साँवले को रचा श्यामल
और काला हो गया कलुआ ?
राम न तुमको भाया उसका
कह दिया उसको रमुआ ?
 
राम नाम एक सत्य तुम्हारा ... ?
शेष अधम सब नीच पुकारा !
दुत्कार लिया , सो दुत्कार लिया,

खबरदार जो पुन: दुत्कारा !                                                                                                 पता-बोकारो झारखंड

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