साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Monday, December 27, 2021

स्त्री की पीड़ा-अनुभूति गुप्ता

  कविता  
अनुभूति गुप्ता
संपादक/लेखिका
मुझे पता है
कैसी होती हैं मानसिक यातनाएं
क्या होता है ढोना
क्या होता है एकाकी रोना....!

मुझे पता है
कैसी होती हैं सामाजिक धारणाएं
जिसमे कहा जाता है
स्त्री को बोझ, बांझ 
और कहा गया परायाधन, विवाह के उपरांत..!

मुझे पता है
कैसी होती हैं परियों की कथाएं
क्या होता है बेटी का होना
कैसे भ्रूण से लेकर का सफ़र
परिवार में, जन्मी बेटी के, अस्तित्व का असर...!

मुझे पता है
कैसी होती हैं चेहरे पर की मात्राएं
कहने की आज़ादी का द्वंद
लगाएं गए हुए प्रतिबंध
विवशता से भरा मन, प्रतिपल आश्रित तन...!


पता-लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

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