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सुरेश सौरभ निर्मल नगर लखीमपुर-खीरी उत्तर प्रदेश पिन-262701 मो-7376236066 |
साहित्य
- जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
- लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
Monday, March 20, 2023
झोला उठाकर जाने की जिद-सुरेश सौरभ
Sunday, March 19, 2023
बोलना होगा-अखिलेश कुमार अरुण
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अखिलेश कुमार अरुण ग्राम हजरतपुर परगना मगदापुर जिला लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश मोबाइल 8127698147 |
आज भी हमें, बराबरी करने देते नहीं हो और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
संविधान एक सहारा था उस पर भी हाबी हो और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
आदि-अनादि
काल के हम शासक न जाने कब हम गुलाम बन गए,
तूती
बोलती थी कभी हमारी और न जाने हम कब नाकाम हो गए
राज-पाट सब सौंप दिए या हड़प लिया गया हो और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
शिक्षा
के द्वार बंद कर दिए, किये हमें हमारे अधिकार से वंचित,
हम
कामगार लोग जीने को मजबूर थे, हो समाज में कलंकित।
गुणहीन न थे हम, हमको अज्ञानी बना दिए और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
जब
तुमने हम पर अत्याचार किया, जातीय प्रताड़ना किये,
गले में
मटकी कमर में झाड़ू और पानी को मोहताज किये,
छूने पर घड़ा आज भी जहाँ मार देते हो और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
अपनी बहन-बेटी
की आबरू को तुम्हारी विलासिता के लिए,
है, नांगोली
का स्तन काटना आज भी इस बात का प्रमाण लिए,
हाथरस की उस लड़की का कुनबा तबाह किए और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
अमनिवियता
को समर्पित भरे-पड़े तुम्हारे साहित्य पर,
जहाँ
लिखते हो पुजिये गुणहीन, मूर्ख सम विप्र चरण,
जहाँ, मानवीयता को सोचना ही पाप लिए हो और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
तुमने
पशु को माता कहा और एक वर्ण विशेष को अछूत,
गोबर को
गणेश कहा और तर्क करने को कहा बेतूक,
हम बने रहे मूर्ख, बेतुकी बातों को मानते गए और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
मंदिर
कौन जाता है किन्तु हमारे राष्ट्रपति को जाने नहीं दिए,
सत्ता
क्या गयी, बाद एक मुख्यमंत्री के जो कुर्सी धुलवा दिए,
बाद हमारे विधानसभा को शुद्ध करवाते हो और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें ।।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
लेकिन
अब बोलेंगे तुम्हारे गलत को ग़लत और सही को सच्च से,
मिडिया
तुम्हारी है फिर डरते हो तुम हमारी अनकही एक सच्च से
क्योंकि
तुम्हारे लाखों झूठ पर हमारा एक सच्च काफी है,
हम, इस रोलेक्टसाही में लोकतंत्र के मुखर आवाज हैं और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
Friday, March 17, 2023
69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण घोटाले की खुलती परत दर परत-नन्दलाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर)
मुद्दा 69000 शिक्षक भारती
हाई कोर्ट के फैसले के बाद यदि सरकार की ईमानदारी से ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग के पीड़ितों के साथ आरक्षण पर न्याय करने की मंशा है तो संशोधित चयन सूची तैयार करने वाली कमेटी में ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग का समुचित प्रतिनिधित्व होना बहुत जरूरी है। पीड़ित अभ्यर्थियों और विपक्ष को एकजुट होकर इस दिशा में जोरदार तरीके से सड़क से लेकर सदन तक अड़े रहना चाहिए।
Monday, March 13, 2023
संवैधानिक लोकतंत्र बचाना है तो एससी-एसटी और ओबीसी को जातिगत राजनीति की जगह जमात की राजनीति पर केंद्रित होना पड़ेगा:नन्दलाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर),
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एन०एल० वर्मा (असो.प्रोफ़ेसर) सेवा निवृत वाणिज्य विभाग वाईडीपीजी कॉलेज,लखीमपुर खीरी |
"धार्मिक और आर्थिक गुलामी का खतरनाक दौर."
Wednesday, February 08, 2023
घनीभूत संवेदनाओं का प्रगटीकरण-डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी
तुलसीदास जी का नारियों के प्रति दृष्टिकोण-लक्ष्मीनारायण गुप्त
ओपीएस बनाम एनपीएस: केंद्र सरकार के नकरात्मक रवैये से अधर में लटक सकते हैं,राज्यों की ओपीएस बहाली के निर्णय-नन्दलाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर)
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एन०एल० वर्मा (असो.प्रोफ़ेसर) सेवा निवृत वाणिज्य विभाग वाईडीपीजी कॉलेज,लखीमपुर खीरी |
Tuesday, January 17, 2023
प्रभुदा से जुड़े सवाल और जवाब एक साथ तलाशता ‘कथादेश’-अजय बोकिल
भाग एक : ईडब्ल्यूएस आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने खींच दी हैं,भविष्य की सामाजिक-राजनीतिक विमर्श और आंदोलन की गहरी रेखाएं-नन्दलाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर)
भाग दो : ईडब्ल्यूएस आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने खींच दी हैं,भविष्य की सामाजिक-राजनीतिक विमर्श और आंदोलन की गहरी रेखाएं-नन्दलाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर)
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एन०एल० वर्मा (असो.प्रोफ़ेसर) सेवा निवृत वाणिज्य विभाग वाईडीपीजी कॉलेज,लखीमपुर खीरी |
Tuesday, January 10, 2023
डॉ.आंबेडकर द्वारा ओबीसी उत्थान के लिए की गई संवैधानिक व्यवस्था का सामाजिक-राजनीतिक-अकादमिक विमर्श के पटलों/मंचों पर समय पर आकलन और आंकलन न हो पाना ओबीसी के सामाजिक न्याय और बहुजन समाज की राजनीति के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और हानिकारक साबित हुआ और आज भी हो रहा है-नन्दलाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर)
डॉ.आंबेडकर द्वारा ओबीसी उत्थान के लिए की गई संवैधानिक व्यवस्था का सामाजिक-राजनीतिक-अकादमिक विमर्श के पटलों/मंचों पर समय पर आकलन और आंकलन न हो पाना ओबीसी के सामाजिक न्याय और बहुजन समाज की राजनीति के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और हानिकारक साबित हुआ और आज भी हो रहा है-नन्दलाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर)
Tuesday, January 03, 2023
नये साल में फेसबुक कम, बुक ज्यादा-सुरेश सौरभ
पढ़िये आज की रचना
अछूत के सिकयित-हीरा डोम
भोजपुरी कविता अछूत के सिकयित हीरा डोम की साहित्य जगत में उपलब्ध एकमात्र रचना गुगल से साभार हमनी के रात-दिन दुखवा भोगत बानी, हमनी...

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लेखक-अजय बोकिल शायद ही किसी ने सोचा होगा कि दुनिया के सबसे बड़े खेल अनुष्ठान ओलिम्पिक के ध्येय वाक्य ‘ और तेज , और ऊंचा , और ताकतवर ’...