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  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Wednesday, February 08, 2023

ओपीएस बनाम एनपीएस: केंद्र सरकार के नकरात्मक रवैये से अधर में लटक सकते हैं,राज्यों की ओपीएस बहाली के निर्णय-नन्दलाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर)

एन०एल० वर्मा (असो.प्रोफ़ेसर) सेवा निवृत
वाणिज्य विभाग
वाईडीपीजी कॉलेज,लखीमपुर खीरी
           छत्तीसगढ़ में ओपीएस लागू करने के बाद भी संकट खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। भूपेश सरकार ने बहाली की अधिसूचना जरूर जारी कर दी है, लेकिन अभी तक राज्य और केंद्र के बीच रार कायम है। उधर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने से साफ इनकार कर दिया है। ऐसे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि एनपीएस में जमा पैसा राज्य कर्मचारियों का है, उनका अंशदान है। इसमें भारत सरकार का एक भी पैसा नहीं है। 
           मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर किए गए सवाल पर कहा कि एनपीएस में जमा पैसा राज्य कर्मचारियों का है और राज्य का अंशदान है। जो केंद्रीय कर्मचारी हैं, उनका पैसा भारत सरकार के पास है। इसके लिए हम लगातार मांग रहे हैं, लेकिन भारत सरकार नकारात्मक रवैया अपना रही है। उन्होंने बताया कि इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे कर्मचारी संगठनों के साथ बैठक करें। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि बातचीत से क्या रास्ता निकल सकता है,उस पर गौर कर  विचार-विमर्श करें। इसके बाद मेरे पास आएं। फिर जिन कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की गई है, उसमें क्या हल निकल सकता है, इसे देखेंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हम पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। छत्तीसगढ़ के साथ ही राजस्थान, झारखंड और हिमाचल प्रदेश भी पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा कर चुके हैं। 
        दरअसल, सोमवार को लोकसभा में एआईएमआईएम के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पुरानी पेंशन योजना को लेकर सवाल पूछा था। इस पर वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत कराड ने लिखित जवाब देकर कहा है कि इसे लागू करने का सरकार का कोई विचार नहीं है। कई राज्यों ने पुरानी पेंशन को लागू करने के लिए अपने स्तर पर नोटीफिकेशन जारी किया है। ऐसे में केंद्र सरकार यह स्पष्ट करना चाहती है कि एनपीएस में जमा धनराशि वापसी का कोई प्रावधान नहीं है। 
        मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मार्च 2022 को पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की घोषणा की थी। राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर अपने कर्मचारियों के वेतन से 10% की हो रही कटौती को भी बंद करा दिया है और सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) नियम के अनुसार उनके वेतन से 12% राशि भी काटी जाने लगी है। राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों के जीपीएफ खाते भी एकॉउंटेंट जनरल (एजी) से लेकर वित्त विभाग को उपलब्ध करा दिए हैं।
         देश के बौद्धिक और राजनीतिक क्षेत्रों में केंद्र की बीजेपी सरकार की इस तरह की हठधर्मिता अन्य राज्य सरकारों के ओपीएस बहाली के निर्णय को कमजोर और हतोत्साहित करने की दिशा में अवलोकन और आंकलन किया जा रहा है। चूंकि ओपीएस खत्म करने का निर्णय भी बीजेपी शासनकाल में लिया गया था। इसलिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों की बुढ़ापे में और परिवार के लिए सबसे अधिक भरोसेमंद और गारंटीयुक्त साबित होने वाली ओपीएस की बहाली का मुद्दा वर्तमान केंद्र सरकार के लिए थूककर चाटने और गले की हड्डी जैसा माना जा रहा है। सरकार के निर्णय की पुष्टि करते हुए आरबीआई ने भी राज्यों को वित्तीय प्रबंधन की दिक्कतों का हवाला देते हुए ओपीएस बहाली न करने की सलाह दे डाली है। सरकार और आरबीआई के वक्तव्यों से साफ संकेत मिल रहे हैं कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह खोखली हो चुकी है या यूँ कहें कि केंद्र सरकार की सॉल्वेंसी की स्थिति जर्जर हो चुकी है। देश की अर्थव्यवस्था की असलियत तो सत्ता परिवर्तन के बाद ही जनता के सामने आ पाएगी,लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।

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