साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Wednesday, May 24, 2023

मैं गुनाहगार हूं- अखिलेश कुमार अरुण

कविता
अखिलेश कुमार 'अरुण' 
ग्राम- हज़रतपुर जिला-लखीमपुर खीरी 
मोबाईल-8127698147


मैं गुनाहगार हूं-
तुम्हारे सपनों का,
एक मौका तो दो-
अपनी बेगुनाही साबित करने का
क़ातिल हूं तो क्या हुआ?
पेशेवर कातिल तो नहीं,
हालातों ने मुझे क़ातिल बनाया
लोगों ने मेरे सपने को साकार करने में-
तुम्हारे सपनों का क़त्ल करवाया।
मैं अपराधी उस अपराध का हूं-
जिसका हमसे दूर तलक सम्बन्ध नहीं।
पिस रहा हूं मैं, पिसना तुमको भी पड़ रहा है।
सफ़र में साथ एक क़दम तुम्हारा मिले तो रुख़ हवाओं का मोड़ दूं
मैं गुनाहगार हूं-
तुम्हारे सपनों का।

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