साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Sunday, January 02, 2022

घुटन-अनुभूति गुप्ता

  कविता  
अनुभूति गुप्ता
लेखक/सम्पादिका
कोई मर रहा होगा
तो उसे बूंद भर जिंदगी दोगे क्या,
सांसें मोहताज है यकीं की, मुझे उम्मीद दोगे क्या..

सोच मेरी इतनी सी नहीं
जो तुमको कत्ल कर दें
क्या सच बोलकर मुझे महफूज़ कर दोगे क्या...

मैंने इक निवाला चुराया था
एक बच्चे के दांतों के बीच.. क्या मुझे माफ़ी दोगे क्या,
सच कहती हूं, इस दौर में
मां को दूर बैठे देखती हूं, क्या क़रीब कर दोगे क्या...!

मैं शरीर नहीं मांगती हूं
मैं वक्त मांगती हूं तुम्हारा
निगाह में, समंदर नहीं
रेत चाहती हूं क्या मुझे इन नेत्रों में बिछने दोगे क्या..!
पता-लखीमपुर खीरी उ०प्र०

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