साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Friday, May 12, 2023

बुर्का-मिन्नी मिश्र

             
लघुकथा (मैथिली)
 कथाकार- सुरेश सौरभ, उत्तर प्रदेश की रचना "हिजाब" का मैथिली अनुवादित संस्करण है



सीओ सिटी विनोद सिंह बहुत चिंता में निमग्न बैसल छलाह , तखने हुनकर सोझा में सब इंस्पेक्टर  मनीषा शाक्य जय हिन्द करैत प्रकट भेलिह |

“ जय हिन्द आउ-आउ !मनीषा जी बैसु -बैसु , विनोद सिंह सोझा में राखल कुर्सी के तरफ बैसबाक इशारा केलथि |

मनीषा हुनकर माथ पर परल चिंता के लकीर के पढैत बजलिह - कि बात अछि सर, बहुत चिंतित लागि रहल छी ?
विनोद सिंह गंभीर स्वर में बजलाह-कि बताउ  लगैत अछि सभटा इंसानियत मरि रहल अछि | शिकायत आएल अछि जे रमावती कॉलेज के आस-पास लूच्चा सभ लड़की सबके के एनाइ-जेनाइ दूभर कय देने छै |अहाँ त लूच्चा के सबक सिखएबाक लेल काफी मशहूर छी, आब अहीं किछु करू |

मनीषा - अहाँ चिंता जुनि करू  | आइये लूच्चा के किछू इंतजाम करैत छी |

करीब एक घंटा बाद रमावती कॉलेज के सोझा सादा पोशाक में बुर्का पहिरने एकटा कन्या  सुकुमारि चालि सं चलल जा रहल छलिह  | ओकर पाछाँ- पाँछा किछु लूच्चा टोन कसइत  चलइत जा रहल छल | तखने ओ कन्या अचानक एकदम सं पलटि कऽ मुड़लिह, तुरंत अपन बुर्का के हटेलथि आ आग्नेय नेत्र सं ओ लूच्चा के देखय लगलिह,  सबटा लूच्चा हुनकर रोबदार तमसायल चेहरा देखि कऽ फुर्र ...|

मिन्नी मिश्र
पटना, बिहार

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