साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Wednesday, April 28, 2021

पैनिक न हो अतीत के संक्रमणों से कोरोना ज्यादा घातक नहीं।

पैनिक न हो अतीत के संक्रमणों से कोरोना ज्यादा घातक नहीं।

लॉकडाउन जरूरी, आइसोलेशन न होने पर प्लेग से मरे थे हजारों लोग - Education  AajTak
प्लेग १८३३-१८४५

    आज का वर्तमान कभी का भूत भी रहा है और हमारे भविष्य का द्योतक भी है। गुजरे वषों में हम लाल बुखार, चिकनगुनिया और भी न जाने कितनी संक्रमित बिमारियों की भयावहता की त्रासदी को हमने झेला है उन सबकी अपेक्षा कोरोना कहीं अधिक व्यापक स्तर पर आज हाबी है पर हमारे कन्टोल में है क्योंकि हम विज्ञान के युग में जी रहे हैं।  अगर यही बिमारी कहीं 1346-53 के बीच आती या उस जैसा हमारा आज का वर्तमान होता तो उस समय प्लेग से विष्व में मरने वालों की संख्या 7.05 से 20 करोड़ थी,  उसकी अपेक्षा आज अरबों में पहुच जाते, संक्रमण काल में अब तक मरने वालों की सबसे बड़ी संख्या है। भारत में सन् 1898 से 1918 तक इसने एक करोड़ प्राणों की बलि ली थी। सन् 1675 से 1684 तक उत्तरी अफ्रीका, तुर्की, पोलैंड, हंगरी, जर्मनी, आस्ट्रिया में प्लेग का एक नया उत्तराभिमुख दौरा शुरु हुआ, जिसमें सन् 1675 में माल्टा में 11,000 सन् 1679 में विएना में 76,000 और सन् 1681 में प्राग में 83,000 प्राणों की आहुति देनी पड़ी। इस चक्र की भीषणता की कल्पना इससे की जा सकती है कि 10,000 की आबादीवाले ड्रेस्डेन नगर में 4,397 नागरिक इसके शिकार हो गए। सन् 1833 से 1845 तक मिस्त्र में प्लेग का तांडव होता रहा। विज्ञान के विकास के साथ ही साथ हमने इन संक्रमणों से बचने के चिकत्सकीय उपाय इजाद कर लिये किन्तु संक्रमणीय बिमारी अब नये रुप में हमारे सामने आ खड़ी हुई है। इससे बचने के लिये हमारी तैयारी क्या विष्व की तैयारी भी जीरो है। वर्तमान ही हम नहीं बना सके तो भविष्य की बात करना मूर्खता होगा। कुछ ऐसा ही आज कोरोना के रुप में देखने को मिल रहा है। संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है, एक के बाद एक कोरोना की चपेट में लोग आते जा रहे हैं कहीं-कहीं तो पूरा का पूरा परिवार कोरोना की चपेट में आकर काल के गाल में समाने को तैयार बैठा है ऐसे में कोरोना से मुक्ति का उपाय अब केवल और केवल साकारात्मक सोच और आपके आत्मबल में समाहित है। लाख कोषिष करने के बाद भी लोग कोरोना की चपेट में आ ही जा रहे हैं, घर-परिवार में दवा-दारु और खाने-पीने की वस्तुओं को लेने बाहर जाना ही पड़ता है, परिवर में भूखों मरने तक आप अपने घर में नहीे रह सकते। ऐसे में आप अपने व अपने परिवार को कोरोना की उन खबरों से दूर रखें जो आपको मानसिक रुप से कमजोर बनाती हैं। मनोचिकित्सकों का कहना है कि आपका पैनिक होना आपके स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित नहीं हैं यह आपके एम्यूनीटि को कमजोर करता है।

coronavirus safety tips: Coronavirus se bachne ke tarike - 14 दिन  क्वारंटाइन के बाद भी बरतें ये सावधानियां, परिवार में नहीं फैलेगा कोरोना  संक्रमण - Navbharat Times

    सोशल मिडिया पर घूम रहीं खबरें जाने-अनजाने आपकों कोरोना के मुंह में ढकेल रहीं हैं। सोषल मीडिया के प्रयोगकर्ता खबरों को शेयर करने से पहले उनकी सच्चाई की तह में जाना नहीं चाहते ऐसा नहीं है कि सोषल मिडिया की सारी खबरें अफवाह हैं कुछ सच्चाई को भी अपने में समाहित किये हुए हैं अन्य बिमारियों से मरने वालों की संख्या की गिनती भी आज कोरोना में ही की जा रही है अतः कोरोना अपने भंयकर रुप को धारण कर लिया है। हमारे आपके मिलने-जुलने वालों में कोई अगर कालकवलित हो गया है तो उसे अपने तक ही सीमित रखा जाय। सोषल मिडिया पर शेयर करने से बचा जाय ऐसा करके हम अपने और अपने लोगों को मानसिक अवसाद के षिकार होने से बचा सकते हैं।

    आज इस महामारी के प्रकोप से जो लोग पीड़ित हैं वे अपने आत्मबल को गिरने न दें, स्वस्थ परिवार के सदस्य अफवाह की खबरों से दूर रहकर अपनी सारी उर्जा अपने परिवार के पीड़ित लोगों को एहतियात बरतते हुए। उनके स्वस्थ होने तक उनका साथ देते रहें। ठीक हो सकते हैं और ठीक कर सकते हैं बस एहतियात बरतने के साथ ही साथ आत्मबल और विष्वास बनाए रखने की जरुरत है क्योंकि अपने देश का निजाम आपको, आपके भरासे पर छोड़कर खुद सत्ता का सुख भोगने में व्यस्त है कोरोना के नाम पर सरकार द्वारा मदद कम दिखावा ज्यादा किया जा रहा है पर अब यह जरुर है कि सरकार कुम्भकर्णी नींद से जा चुकी है हर-सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं देर आओ किन्तु दुरुस्त आओ जनता को अब न लगे कि उनके साथ छल हो रहा है, राज्य सरकारों का आरोप-प्रत्यारोप जारी है। ऐसे में कोरोना से निपटने की पुरी जिम्मेदारी अब हमारी अपनी है, कोरोना के इस महामारी से हम बहुत जल्दी ऊभर जायेगे बस धैर्य बनाए रखिए।

-अखिलेश कुमार ‘अरुण’

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