साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Friday, May 12, 2023

उचक्के-अखिलेश कुमार 'अरुण'


(लघुकथा)

अखिलेश कुमार अरुण
ग्राम हजरतपुर परगना मगदापुर
जिला लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 8127698147

    मैं अपने घर से निकली ही थी कि बाईक सवार दो उचक्के एक राह चलती महिला के दाहिने हाथ की कान की बाली पर हाथ साफ़ कर गए थे। दौड़कर उस महिला के पास पहुंची जो मारे दर्द के चीख-चिल्ला रही थी, कान की लोर लहूलुहान थी। देखते-ही देखते 10-१२ लोग जमा हो चुके थे जितने मुहँ उतनी बातें. बहन, जी सोने के कुंडल थे क्या?

    भर्राए गले से बोली नहीं नहीं भईया, इस महंगाई के ज़माने में ....आर्टिफीसियल ज्वेलरी पहनने को मिल जाए यही बहुत है।

    भीड़ से किसी ने कहा, अपराधी तो दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं

    पीड़ित महिला बोल पड़ी,गलती उनकी नहीं है, मेरे भी तीन बेटे हैं, पूरा जीवन पेट काट-काट कर उनको पढ़ाया कि दो-चार पैसे के आदमी बन जायेंगे, बड़ा बेटा 30 वर्ष का होने को आया है....खाली पड़ा रहता है...समाज-परिवार से अलग-थलग, यह भी होंगे उन जैसे बच्चों में से कोई एक?

    सब लोग जा चुके थे मेरे भी दो बेटे हैं, बड़े ने दो साल पहले एम०टेक० पास  किया है और दुसरे ने इस साल पालीटेक्निक.......?

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