साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Tuesday, May 24, 2022

इंजन-सुरेश सौरभ

   (लघुकथा)  

-सुरेश सौरभ
निर्मल नगर लखीमपुर-खीरी पिन-262701
मो-7376236066
      लाठी के पीछे का सिरा वह अंधा बूढ़ा पकड़ता, आगे का, वह काली मटमैली बुढ़िया पकड़े हुए चलती। दोनों भीख मांगते। सारे शहर में वह दया के पात्र थे, लिहाजा उनकी  झोली रोज भर जाया करती थी। 
        एक दिन उसकी पार्टनर बुढ़िया मर गई। 
       अब वह दूसरे शहर में चला गया । अब उसकी आंखों की ज्योति लौट आई। वह अकेले भीख मांगता,पर पहले जैसी आमदनी नहीं थी। 
    अब वह पहले जैसे इंजन की तलाश कर रहा था, और उसे अपने साथ, तीसरे शहर ले जाकर, अपने काम को बेहतर तरीके से पटरी पर लाना चाह रहा था। 
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