साहित्य
- जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
- लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
Wednesday, April 09, 2025
अछूत के सिकयित-हीरा डोम
Wednesday, March 26, 2025
मौत और महिला-अखिलेश कुमार अरुण
(कविता)
(नोट-प्रकाशित रचना इंदौर समाचार पत्र मध्य प्रदेश ११ मार्च २०२५ पृष्ठ संख्या-1 , वुमेन एक्सप्रेस पत्र दिल्ली से दिनांक ११ मार्च २०२५ पृष्ठ संख्या-5)
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| अखिलेश कुमार 'अरुण' ग्राम- हज़रतपुर जिला-लखीमपुर खीरी मोबाईल-8127698147 |
डरती है महिला-
पति के न रहने से
मौत तो उसकी अपनी सहेली है.
अपनी मन्नतों में भी-
पति की कुशलता ही मांगती है
सारे वृत्त-त्यौहार करती है
उनकी कुशलता में ही
उसकी ख़ुशी है,
सम्पन्नता है
इज्जत और सम्मान-
अभिमान है.
क्या होता है?
उन महिलाओं का-
जिनके पति
और उसकी बेटी
का बाप नहीं रहता?
नोच खाने को बैठा यह-
आदमी जात
‘महिला दिवस’ की
झूठी शुभकामनाएं
का दंभ भरता है.
शासन में बैठे-
जिम्मेदार भी मुहं फेर लेते हैं.
जब कोई महिला
बदहवास नोच ली जाती है-
मर्दानगी के घुप अँधेरे में’
पत्नी के न रहने से-
जिस दिन पति डरने लगे
मौत का भय न हो.
रात के घने अँधेरे में-
घर से निकलते हुए,
समझ लेना,
महिलाएं-
सशक्त हो चली हैं.
तुम्हारे झूठे इस दिवस की-
बधाई तुम्हे मुबारक हो
हे! महिला के पुरुष
क्या तुम-
यह कर पयोगे?
Saturday, September 07, 2024
चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ
Wednesday, July 24, 2024
हिंदी लघुकथा स्वरूप और सार्थकता-सुरेश सौरभ
Tuesday, July 16, 2024
केवल आरक्षण से ही आधे आईएएस एससी-एसटी और ओबीसी,लेकिन वे शीर्ष पदों पर क्यों नहीं पहुंच पाते-नन्दलाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर)
【अधिकारियों के लिए न्यूनतम और अधिकतम कार्यकाल/अवधि तय होनी चाहिए और शीर्ष पदों के लिए गठित पैनल को गैर-विवेकाधीन, मैट्रिक्स-आधारित और पारदर्शी बनाना होगा】
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| नन्दलाल वर्मा (सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर) युवराज दत्त महाविद्यालय लखीमपुर-खीरी 9415461224. |
Friday, July 12, 2024
सामाजिक न्याय के नाम पर सत्ता की मलाई चाटते जातीय दलों की असलियत जो एससी-एसटी और ओबीसी के लिए आस्तीन के सांप सिद्ध हो रहे हैं-नन्दलाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर)
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| नन्दलाल वर्मा (सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर) युवराज दत्त महाविद्यालय लखीमपुर-खीरी 9415461224. |
बड़े चोरों के भरोसे-सुरेश सौरभ
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सुरेश सौरभ निर्मल नगर लखीमपुर-खीरी उत्तर प्रदेश पिन-262701 मो-7376236066 |
सामाजिक न्याय के नाम पर सत्ता की मलाई चाटते जातीय दलों की असलियत जो एससी-एसटी और ओबीसी के लिए आस्तीन के सांप सिद्ध हो रहे हैं-नन्दलाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर)
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| नन्दलाल वर्मा (सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर) युवराज दत्त महाविद्यालय लखीमपुर-खीरी 9415461224. |
Tuesday, July 02, 2024
इंदिरा गांधी की इमरजेंसी से ज़्यादा खतरनाक है,आज के दौर की अघोषित तानाशाही और इमरजेंसी-नन्दलाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर)
"लोकतंत्र के मंदिर में राजतंत्र-तानाशाही की निशानी "सिंगोल" स्थापित करने के पीछे मोदी/बीजेपी की नीयत क्या है?"
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| नन्दलाल वर्मा (सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर) युवराज दत्त महाविद्यालय लखीमपुर-खीरी |
Monday, June 17, 2024
योग दिवस-अखिलेश कुमार 'अरुण
कहानी
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| अखिलेश कुमार 'अरुण' ग्राम- हज़रतपुर जिला-लखीमपुर खीरी मोबाईल-8127698147 |
मजदूरों के लिए एक कहावत है कि मजदूर को मजदूरी उसका पसीना सूखने से पहले मिल जाना चाहिए क्योंकि मजदूर अपना और अपने परिवार का पेट साथ लेकर आता है मजदूरी से लौटने के बाद फकत वक्त उसकी मजदूरी उसके काम न आए तो उसकी मजदूरी किसी काम की नहीं, गांव का प्रधान है कि अपनी रसूख और राजनीतिक पहुंच के चलते किसी से नहीं डरता। करीम चचा यह जानते हुए भी उसके यहां काम करने गये कि इस प्रचंड गर्मी में कुछ सहारा हो जाएगा क्योंकि किसानों की किसानी अप्रैल-मई के बाद खत्म है वहां कोई काम है नहीं कि जहां कुछ काम-धाम करके दो-चार पैसे का जुगाड़ हो जाए पर प्रधान जी अपना घर बनवा रहे थे। इसलिए काम मिल गया था। एक महीना पूरा खटे हैं सौ-पचास करके 1200 रुपए कुल अभी तक करीम चचा ले गये हैं और प्रधान कह रहा है कि 200 और तुम्हारा बनता है वह दो-चार दिन में दे देगा।
करीम चचा अब करें तो करें क्या? किसी ने सलाह दिया कि श्रम विभाग में चले जाओ वहां जाकर शिकायत कर दो। करीम चचा ने ऐसा ही किया आज से 10 दिन पहले लिखित शिकायत की अर्जी सहायक श्रमायुक्त को दे आए थे जिसकी प्रति लेकर आज फिर आफिस पहुंच गये क्योंकि अभी तक कुछ हुआ तो है नहीं। अर्जी की ताकीद करवाई और श्रमायुक्त महोदय से गुजारिश कर रहे हैं" साहेब, मजदूरी का पूरा पैसा दिलवा दीजिए ....? नहीं तो हम चार जनों का परिवार भूखों मर जाएगा।"
"रुको, हम अभी आते हैं।" कहकर किसी साहब का हवाला देकर निकल लिए। घंटा-दो घंटा बीतने के बाद करीम चचा श्रमायुक्त महोदय को खोजते हुए आगे बढ़ चले तो पता चला कि अपर श्रमायुक्त महोदय के पास बैठे हैं। बहुत हिम्मत करके दरवाजे पर दस्तक दिए,"हुजूर हम अन्दर आ सकते हैं!"
"हां, आइए।"
चश्मे के ऊपर से झांकते हुए साहब ने
अनुमति दी।
"अरे! तुम, हम कहे थे न कि
अभी आ रहे हैं।" श्रमायुक्त जी थोड़ी गर्मी दिखाते हुए करीम चचा की तरफ
मुखातिब हुए।
"क्या
समस्या है? छोटे साहब से
बड़े साहब ने पूछा।
"कुछ खास
नहीं सर।"
करीम चचा कुछ
बोलने को हुए कि उससे पहले ही छोटे साहब बोल पड़े, "अभी योग दिवस पर
बहुत काम करना है,
ऊपर
से आदेश आया है। यह बहुत जरूरी है, उसके बाद आना।"
"कब सर?"
"योग दिवस
के बाद।"
"योग दिवस
कब......?
"अरे, इतना भी नहीं
मालूम, तुमको योग दिवस
कब है.....21 जून के बाद।"
पढ़िये आज की रचना
शेर का परिवार-अखिलेश कुमार अरुण
व्यंग्य (दिनांक ११ सितम्बर २०२५ को मध्यप्रदेश से प्रकाशित इंदौर समाचार पत्र पृष्ठ संख्या-१०) अखिलेश कुमार 'अरुण' ग्राम- हज़...
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