साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Wednesday, April 28, 2021

पैनिक न हो अतीत के संक्रमणों से कोरोना ज्यादा घातक नहीं।

पैनिक न हो अतीत के संक्रमणों से कोरोना ज्यादा घातक नहीं।

लॉकडाउन जरूरी, आइसोलेशन न होने पर प्लेग से मरे थे हजारों लोग - Education  AajTak
प्लेग १८३३-१८४५

    आज का वर्तमान कभी का भूत भी रहा है और हमारे भविष्य का द्योतक भी है। गुजरे वषों में हम लाल बुखार, चिकनगुनिया और भी न जाने कितनी संक्रमित बिमारियों की भयावहता की त्रासदी को हमने झेला है उन सबकी अपेक्षा कोरोना कहीं अधिक व्यापक स्तर पर आज हाबी है पर हमारे कन्टोल में है क्योंकि हम विज्ञान के युग में जी रहे हैं।  अगर यही बिमारी कहीं 1346-53 के बीच आती या उस जैसा हमारा आज का वर्तमान होता तो उस समय प्लेग से विष्व में मरने वालों की संख्या 7.05 से 20 करोड़ थी,  उसकी अपेक्षा आज अरबों में पहुच जाते, संक्रमण काल में अब तक मरने वालों की सबसे बड़ी संख्या है। भारत में सन् 1898 से 1918 तक इसने एक करोड़ प्राणों की बलि ली थी। सन् 1675 से 1684 तक उत्तरी अफ्रीका, तुर्की, पोलैंड, हंगरी, जर्मनी, आस्ट्रिया में प्लेग का एक नया उत्तराभिमुख दौरा शुरु हुआ, जिसमें सन् 1675 में माल्टा में 11,000 सन् 1679 में विएना में 76,000 और सन् 1681 में प्राग में 83,000 प्राणों की आहुति देनी पड़ी। इस चक्र की भीषणता की कल्पना इससे की जा सकती है कि 10,000 की आबादीवाले ड्रेस्डेन नगर में 4,397 नागरिक इसके शिकार हो गए। सन् 1833 से 1845 तक मिस्त्र में प्लेग का तांडव होता रहा। विज्ञान के विकास के साथ ही साथ हमने इन संक्रमणों से बचने के चिकत्सकीय उपाय इजाद कर लिये किन्तु संक्रमणीय बिमारी अब नये रुप में हमारे सामने आ खड़ी हुई है। इससे बचने के लिये हमारी तैयारी क्या विष्व की तैयारी भी जीरो है। वर्तमान ही हम नहीं बना सके तो भविष्य की बात करना मूर्खता होगा। कुछ ऐसा ही आज कोरोना के रुप में देखने को मिल रहा है। संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है, एक के बाद एक कोरोना की चपेट में लोग आते जा रहे हैं कहीं-कहीं तो पूरा का पूरा परिवार कोरोना की चपेट में आकर काल के गाल में समाने को तैयार बैठा है ऐसे में कोरोना से मुक्ति का उपाय अब केवल और केवल साकारात्मक सोच और आपके आत्मबल में समाहित है। लाख कोषिष करने के बाद भी लोग कोरोना की चपेट में आ ही जा रहे हैं, घर-परिवार में दवा-दारु और खाने-पीने की वस्तुओं को लेने बाहर जाना ही पड़ता है, परिवर में भूखों मरने तक आप अपने घर में नहीे रह सकते। ऐसे में आप अपने व अपने परिवार को कोरोना की उन खबरों से दूर रखें जो आपको मानसिक रुप से कमजोर बनाती हैं। मनोचिकित्सकों का कहना है कि आपका पैनिक होना आपके स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित नहीं हैं यह आपके एम्यूनीटि को कमजोर करता है।

coronavirus safety tips: Coronavirus se bachne ke tarike - 14 दिन  क्वारंटाइन के बाद भी बरतें ये सावधानियां, परिवार में नहीं फैलेगा कोरोना  संक्रमण - Navbharat Times

    सोशल मिडिया पर घूम रहीं खबरें जाने-अनजाने आपकों कोरोना के मुंह में ढकेल रहीं हैं। सोषल मीडिया के प्रयोगकर्ता खबरों को शेयर करने से पहले उनकी सच्चाई की तह में जाना नहीं चाहते ऐसा नहीं है कि सोषल मिडिया की सारी खबरें अफवाह हैं कुछ सच्चाई को भी अपने में समाहित किये हुए हैं अन्य बिमारियों से मरने वालों की संख्या की गिनती भी आज कोरोना में ही की जा रही है अतः कोरोना अपने भंयकर रुप को धारण कर लिया है। हमारे आपके मिलने-जुलने वालों में कोई अगर कालकवलित हो गया है तो उसे अपने तक ही सीमित रखा जाय। सोषल मिडिया पर शेयर करने से बचा जाय ऐसा करके हम अपने और अपने लोगों को मानसिक अवसाद के षिकार होने से बचा सकते हैं।

    आज इस महामारी के प्रकोप से जो लोग पीड़ित हैं वे अपने आत्मबल को गिरने न दें, स्वस्थ परिवार के सदस्य अफवाह की खबरों से दूर रहकर अपनी सारी उर्जा अपने परिवार के पीड़ित लोगों को एहतियात बरतते हुए। उनके स्वस्थ होने तक उनका साथ देते रहें। ठीक हो सकते हैं और ठीक कर सकते हैं बस एहतियात बरतने के साथ ही साथ आत्मबल और विष्वास बनाए रखने की जरुरत है क्योंकि अपने देश का निजाम आपको, आपके भरासे पर छोड़कर खुद सत्ता का सुख भोगने में व्यस्त है कोरोना के नाम पर सरकार द्वारा मदद कम दिखावा ज्यादा किया जा रहा है पर अब यह जरुर है कि सरकार कुम्भकर्णी नींद से जा चुकी है हर-सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं देर आओ किन्तु दुरुस्त आओ जनता को अब न लगे कि उनके साथ छल हो रहा है, राज्य सरकारों का आरोप-प्रत्यारोप जारी है। ऐसे में कोरोना से निपटने की पुरी जिम्मेदारी अब हमारी अपनी है, कोरोना के इस महामारी से हम बहुत जल्दी ऊभर जायेगे बस धैर्य बनाए रखिए।

-अखिलेश कुमार ‘अरुण’

Tuesday, April 27, 2021

कोरोना की दवा साकारात्मकता और आपका आत्मबल

कोरोना की दवा साकारात्मकता और आपका आत्मबल

(स्वतंत्र दस्तक के जौनपुर संस्करण में २७ अप्रैल २०२१ को प्रकाशित)

बनाएं रखें सकारात्मक सोच, क्योंकि मन के जीते जीत हैं....। sakaratmak soch

लाल बुखार, चिकनगुनिया और भी गुजरे जमाने संक्रमित बिमारियों की भयावहता कुछ ऐसा ही होता होगा जो आज कोरोना के रुप में देखने को मिल रहा है। संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है, एक के बाद एक कोरोना की चपेट में लोग आते जा रहे हैं कहीं-कहीं तो पूरा का पूरा परिवार कोरोना की चपेट में आकर काल के गाल में समाने को तैयार बैठा है ऐसे में कोरोना से मुक्ति का उपाय अब केवल और केवल साकारात्मक विचार, सोच, संदेश, आत्मबल में ही समाहित है। लाख कोशिश करने के बाद भी लोग कोरोना की चपेट में आ ही जा रहे हैं, घर-परिवार में दवा-दारु और खाने-पीने की वस्तुओं को लेने बाहर जाना ही पड़ता है, परिवर में भूखों मरने तक आप अपने घर में नही रह सकते। ऐसे में आप अपने व अपने परिवार को कोरोना की उन खबरों से दूर रखें जो आपको मानसिक रुप से कमजोर बनाती हैं।

सोशल मिडिया पर घूम रहीं खबरें जाने-अनजाने आपकों कोरोना के मुंह में ढकेल रहीं हैं। सोशल मीडिया के प्रयोगकर्ता खबरों को शेयर करने से पहले उनकी सच्चाई की तह में जाना नहीं चाहते ऐसा नहीं है कि सोशल मिडिया की सारी खबरें अफवाह हैं कुछ सच्चाई को भी अपने में समाहित किये हुए हैं अन्य बिमारियों से मरने वालों की संख्या की गिनती भी आज कोरोना में ही की जा रही है अतः कोरोना अपने भंयकर रुप को धारण कर लिया है। हमारे आपके मिलने-जुलने वालों में कोई अगर कालकवलित हो गया है तो उसे अपने तक ही रखा जाय सोशल मिडिया पर शेयर करने से बचा जाय ऐसा करके हम अपने और अपने लोगों को मानसिक अवसाद के शिकार होने से बचा सकते हैं।

आज इस महामारी के प्रकोप से जो लोग पीड़ित हैं वे अपने आत्मबल को गिरने न दें, स्वस्थ परिवार के सदस्य अफवाह की खबरों से दूर रहकर अपनी सारी उर्जा अपने परिवार के पीड़ित लोगों को एहतियात बरतते हुए उनके स्वस्थ होने तक उनका साथ देते रहें ठीक हो सकते हैं और ठीक कर सकते हैं बस एहतियात बरतने के साथ ही साथ आत्मबल और विष्वास बनाए रखने की जरुरत है क्योंकि अपने देश का निजाम आपको, आपके भरासे पर छोड़कर खुद सत्ता का सुख भोगने में व्यस्त है कोरोना के नाम पर सरकार द्वारा मदद कम दिखावा ज्यादा किया जा रहा है पर अब यह जरुर है कि सरकार कुम्भकर्णी नींद से जा चुकी है हर-सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं देर आओ किन्तु दुरुस्त आओ जनता को अब न लगे कि उनके साथ छल हो रहा है, राज्य सरकारों का आरोप-प्रत्यारोप जारी है। ऐसे में कोरोना से निपटने की पुरी जिम्मेदारी अब हमारी अपनी है।

अखिलेश कुमार  ‘अरुण’

Monday, April 26, 2021

अपने जन्मदिन पर विशेष

अपने जन्मदिन पर विशेष

 

जन्मपत्री
मेरे जन्म का प्रमाण पापा जी के द्वारा हस्तलिखित

आज फेसबुक चुपके-चुपके हमारे जन्मदिन का टैग चला रहा है. अपने चाहने वालों का आशीर्वाद मिल रहा है, उसके लिए आप सबका कोटि-कोटिशः आभार. भागमभाग, आपा-धापी भरी जिंदगी में जन्मदिन क्या होता है, इसकी सुध कहां है। भला हो इस सोशल मीडिया का जो याद तो दिलाता है कि आज ही के दिन हमारा जन्म हुआ था जिसकी पुष्टि के लिए #पापा के हाथ की लिखी एक #मटमैली_डायरी के पन्नों की #जन्मपत्री है। जिसमें हमारा नाम #कमलकिशोर था, फिर #नवलकिशोर हुआ पर वह भी नाम हमारे से दूर हो, हमारे भाई को मिल गया और उसका नाम #इन्द्रजीत यादों में बनकर रह गया, घर का नाम ही हमारा कागजपत्री का लिखित नाम है. कभी #अकलेश तो कभी #अकलेशवा बुलाया जाता था. नाम की संतुष्टी हमें अखिलेश कुमार अरुण से मिली नहीं तो उसके पहले खूब नाम का छीछालेदर किये कुछ दिन #अखिलेश_कुमार_गौतम तो साल, दो साल तक #अखिलेश_कुमार_निगम (#गौतम और #निगम दोनों #जाति विशेष #उपनाम थे उपनाम की खोज का सिलसिला #अरुण पर जाकर ख़त्म हुआ जिसका अर्थ होता है #लालरंग/ #प्रातःकाल जो धीरे-धीरे फैलकर सम्पूर्ण विश्व को अपने आगोस में ले लेता है और संसार को एक नई उर्जा से भर देता है. देखिये अब आगे क्या होता है उपनाम की सार्थकता को सिद्ध करने में एक-एक दिन बिता जा रहा है. #जन्मदिन #26 #अप्रैल की जगह #1 #जनवरी कर दिया गया जो देखने में ही फर्जी लगता है इसलिए कभी हम इसे स्वीकार न कर सके. सोशल मिडिया के बायोग्राफी में 26 अप्रैल ही मेंशन है. असली जन्मदिन आज ही है, आज ही के दिन जन्म लेकर इस संसार में एक के बाद एक अपने लोगों का साथ मिलता गया और हम पर जिम्मेदारी का बोझ बढ़ता गया घर-परिवार/समाज, जिसमें समाज की जिम्मेदारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है किन्तु परिवार को भी लेकर चलना है। हम अपने ऊपर मिले जिम्मेदारियों पर खरे उतर सकें यही हमारे लिए हमारे जन्मदिन का सबसे बड़ा तोहफा होगा।

बहुत बहुत आभार आप सब परिवारी, ईष्ट-मित्र, साथियों, गुरुजनों का।

-अखिलेश कुमार अरुण

26/04/2021

 

 

Sunday, April 25, 2021

लॉकडाउन बचाव है गारंटी नहीं, ठोस कदम उठायें

लॉकडाउन बचाव है गारंटी नहीं, ठोस कदम उठायें

(स्वतंत्र दस्तक के जौनपुर संस्करण में २२ अप्रैल २०२१ को प्रकाशित)

महामारी अपने विकराल रूप को धारण करते जा रही है. कोविड-19 का यह दूसरा दौर है, पहली खेप में हम जीत गए थे लगभग-लगभग सब कुछ ठीक था. पिछले साल जो हुआ सो हुआ कितने अपने मौत की गोद में सोकर परिवार को रोने-धोने को छोड़ गए, जिसके घर से कमाऊ पूत/पति/भाई/बाप/बहन/माँ चले गए उनके घर में अभी भी अँधेरा छाया हुआ है. जो जिन्दा हैं वह अपनी रोजी-रोटी के जुगत में किसी नई जगह पर अपने हुनर का प्रदर्शन करने में जी-जान से लग गए कि बॉस अगले महीने उनकी तरक्की कर देगा तो मुन्ने का दूध और बूढ़े माँ-बाप के दावा दारू में कुछ सहूलियत हो जाएगी, स्कूल/कालेज में लड़के मनोयोग से पढ़ने का मन बनाने लगे थे, शिक्षक पढ़ाने लगे थे. शादी-बारात के मंडप सजने लगे थे. दुकानों पर खरीदारी जारी थी. देश धीरे-धीरे अपने पुराने ढर्रे पर जाने लगा था. होली-दीपावली, ईद, तीज-त्योहार, धार्मिक यात्राओं आदि का चलन पुनः चालू हो गया था. नेताओं का अपना त्यौहार मनने लगा, सभाएं होने लगी, चुनाव के बिगुल बजने लगे एक दुसरे को पटखनी देने के लिए जोर-आजमयिस चालू था. बस यहीं हम गच्चा खा गए. कोरोना को लेकर जितने गाईडलाईन्स जारी किये गए सब धरे के धरे रह गए हम (देश की जनता) लापरवाह हुए ही सरकार सो गई एकदम कुम्भकर्ण वाली नींद.

Your Experiences and Best Practices: How Has COVID-19 Affected Your Work? –  Association for Psychological Science – APS

जब कोरोना की पहली लहर आकर जाने को थी तब हमें इस महामारी से बचने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए थे. खतरा टला नहीं था इसका भान सभी को था चाहे वह आम आदमी हो या खास. पहली गलती को सुधारने का हमें जो मौका हाथ लगा हम बेफिक्र होकर दूसरी लहर के आने का इंतजार कर रहे थे और उसके लिए पूरा खुला मैदान तैयार कर रहे थे. उसके स्वागत में तैयार हम भूल गए थे कि अभी हम कोरोना के कहर से निकल कर आये हैं. जो गलती पूर्व में हो चुकी थी उसको सुधारने का मौका मिला था. मुलभुत चिकत्सकीय सुविधाओं को युद्धस्तर पर विकसित करना था. आक्सीजन के नए प्लांट लगाये जाने चाहिए थे. वेंटिलेटर बेड और कोरोना जाँच उपकरणों को अस्पतालों में बढ़ावा देना चाहिए था, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हाथ फैलाकर अपनी चिकत्सकीय क्षमता को बढ़ाना चाहिए था किन्तु यह सब हम न कर सके अब तो जन-सामान्य को छोड़िये अपनों को बचाने की गुहार वर्तमान सत्ता के नेता तक लगा रहे हैं विपक्षियों की क्या विसात....समाचार पत्रों के हवाले से खबर आई है कि देश में दो-चार जगह आक्सीजन प्लांट लगाये जाने के लिए भूमि-पूजन किया गया है. देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, अमर उजाला स्वतंत्र प्रभार आदि में प्रमुखता से खबर छपा है कि उत्तर प्रदेश में नई प्रोगशालायें खोलने वालों को सहयोग दिया जाये, 220 सिलेंडर की क्षमता का डीआरडीओ की सहायता से नया आक्सीजन प्लांट स्थापित किया जायेगा जहाँ अगले हफ्ते तक ऑक्सीजन उत्पादित हो सकेगा तथा नए मेडिकल कालेज खोलने के लिए आक्सीजन प्लांट की अनिवार्य शर्त रखी गई है. कुछ स्टील फैक्ट्रियां अपने यहाँ मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करेंगी. यह राज्य सरकार का स्वागत योग्य सराहनीय फैसला है.

How Many People in the United States Actually Have COVID-19?पिछली सरकारों ने क्या किया क्या नहीं किया उसका रोना रोने से ज्यादा बेहतर होगा की वर्तमान सताधारी सरकारें जनता के प्रति उत्तरदायी हों और जनता की सुख-सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए भविष्य की योजनाओं में चिकत्सीय सेवाओं को विकसित करने में प्राथमिकता दें तथा कोरोना या कोरोना जैसी आने वाली वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए स्वंय को तैयार रखें. जाति-धर्म, क्षेत्रवाद, भाषाई आधार पर राजनैतिक पाशा चलने का तरीका बदलना होगा. तभी हम अपने भविष्य को सजा और सवंरा हुआ पाएंगे तथा मानवीयता को जिन्दा रख पाएंगे

अखिलेश कुमार अरुण

स्वतंत्र टिप्पणीकार/लेखक

ग्राम हजरतपुर,लखीमपुर-खीरी

 

ਕੋਰੋਨਾ ਦਵਾਈ ਸਾਕਾਰਾਤਮਕ ਅਤੇ ਤੁਹਾਡੀ ਸਵੈ-ਸ਼ਕਤੀ

ਕੋਰੋਨਾ ਦਵਾਈ ਸਾਕਾਰਾਤਮਕ ਅਤੇ ਤੁਹਾਡੀ ਸਵੈ-ਸ਼ਕਤੀ

 ਅਖਿਲੇਸ਼ ਕੁਮਾਰ 'ਅਰੁਣ'

ਲਾਲ ਬੁਖਾਰ, ਚਿਕਨਗੁਨੀਆ ਅਤੇ ਇਥੋਂ ਤਕ ਕਿ ਪਿਛਲੀ ਲਾਗ ਵਾਲੀਆਂ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦੀ ਭਿਆਨਕਤਾ ਕੁਝ ਅਜਿਹੀ ਹੋਵੇਗੀ ਜੋ ਅੱਜ ਕੋਰੋਨਾ ਵਜੋਂ ਵੇਖੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ. ਲਾਗ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਫੈਲ ਰਹੀ ਹੈ, ਇਕ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਕ ਲੋਕ ਕੋਰੋਨਾ ਦੀ ਪਕੜ ਵਿਚ ਰਹੇ ਹਨ, ਕਿਤੇ, ਪੂਰਾ ਪਰਿਵਾਰ ਕੋਰੋਨਾ ਦੀ ਪਕੜ ਦੁਆਰਾ ਕੋਰੋਨਾ ਦੇ ਗਲ੍ਹਿਆਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨ ਲਈ ਤਿਆਰ ਹੈ, ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ, ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਣ ਲਈ ਹੱਲ. ਕੋਰੋਨਾ ਦੇ ਹੁਣ ਸਿਰਫ ਅਤੇ ਕੇਵਲ ਸਕਾਰਾਤਮਕ ਵਿਚਾਰ, ਸੋਚ, ਸੰਦੇਸ਼, ਸਵੈ-ਸ਼ਕਤੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ. ਲੱਖ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰਨ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਵੀ ਲੋਕ ਕੋਰੋਨਾ ਦੀ ਪਕੜ ਵਿਚ ਆ ਰਹੇ ਹਨ, ਤੁਹਾਨੂੰ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਦਵਾਈ ਅਤੇ ਸ਼ਰਾਬ ਅਤੇ ਖਾਣ ਪੀਣ ਦੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਲੈਣ ਲਈ ਬਾਹਰ ਜਾਣਾ ਪਏਗਾ, ਤੁਸੀਂ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਉਦੋਂ ਤਕ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਸਕਦੇ ਜਦੋਂ ਤਕ ਤੁਸੀਂ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਭੁੱਖ ਨਾਲ ਮਰ ਨਹੀਂ ਜਾਂਦੇ. ਅਜਿਹੀ ਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ, ਤੁਹਾਨੂੰ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਨੂੰ ਕੋਰੋਨਾ ਦੀ ਖ਼ਬਰ ਤੋਂ ਦੂਰ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਜੋ ਤੁਹਾਨੂੰ ਮਾਨਸਿਕ ਤੌਰ ਤੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ.Photos: Life in the Time of Coronavirus - The Atlantic

 

ਸੋਸ਼ਲ ਮੀਡੀਆ 'ਤੇ ਚਲ ਰਹੀ ਖ਼ਬਰਾਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਅਣਜਾਣੇ ਵਿਚ ਕੋਰੋਨਾ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਧੱਕ ਰਹੀ ਹੈ. ਸੋਸ਼ਲ ਮੀਡੀਆ ਉਪਭੋਗਤਾ ਖਬਰਾਂ ਨੂੰ ਸਾਂਝਾ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸੱਚਾਈ ਦੀ ਤਹਿ ਤੱਕ ਨਹੀਂ ਜਾਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ, ਅਜਿਹਾ ਨਹੀਂ ਹੈ ਕਿ ਸੋਸ਼ਲ ਮੀਡੀਆ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਖਬਰਾਂ ਅਫਵਾਹ ਹੋਣ. ਕੁਝ ਸਚਾਈਆਂ ਵੀ ਆਪਣੇ ਆਪ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਹੋਰ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਤੋਂ ਹੋਣ ਵਾਲੀਆਂ ਮੌਤਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵੀ ਅੱਜ ਕੋਰੋਨਾ ਵਿੱਚ ਗਿਣੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਕੋਰੋਨਾ ਨੇ ਆਪਣਾ ਭਿਆਨਕ ਰੂਪ ਧਾਰ ਲਿਆ ਹੈ। ਜੇ ਕੋਈ ਸਾਡੇ ਦੋਸਤਾਂ ਨਾਲ ਮਗਨ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ, ਤਾਂ ਇਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਕੋਲ ਰੱਖੋ ਸੋਸ਼ਲ ਮੀਡੀਆ 'ਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਸਾਂਝਾ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਚੋ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਰਨ ਨਾਲ, ਅਸੀਂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਮਾਨਸਿਕ ਤਣਾਅ ਤੋਂ ਬਚਾ ਸਕਦੇ ਹਾਂ.

 Coronavirus: How are patients treated? - BBC News

ਅੱਜ, ਜੋ ਲੋਕ ਇਸ ਮਹਾਂਮਾਰੀ ਦੇ ਪ੍ਰਕੋਪ ਤੋਂ ਪੀੜਤ ਹਨ, ਆਪਣਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਘੱਟਣ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦੇ, ਸਿਹਤਮੰਦ ਪਰਿਵਾਰਕ ਮੈਂਬਰ ਅਫਵਾਹਾਂ ਤੋਂ ਦੂਰ ਰਹਿਣ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਪੀੜਤਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਆਪਣੀ ਸਾਰੀ ਰਜਾ ਲੈਣ, ਜਦ ਤੱਕ ਉਹ ਠੀਕ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦੇ ਅਤੇ ਤੰਦਰੁਸਤ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ. ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਇਕ ਸਾਵਧਾਨੀ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ, ਆਤਮ-ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਤੁਹਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਨਿਜ਼ਾਮ ਤੁਹਾਨੂੰ ਅਤੇ ਤੁਹਾਡੇ ਸਮਾਨ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਅਤੇ ਸ਼ਕਤੀ ਦੀ ਤਾਕਤ ਦਾ ਅਨੰਦ ਲੈਣ ਵਿਚ ਰੁੱਝਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ. ਕੋਰੋਨਾ ਦੇ ਨਾਮ ਤੇ, ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਵਧੇਰੇ ਸਹਾਇਤਾ ਦਿਖਾਈ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ, ਪਰ ਹੁਣ ਇਹ ਸੁਨਿਸ਼ਚਿਤ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਕਿ ਸਰਕਾਰ ਨੀਂਦ ਤੋਂ ਕੁੰਭਕਰਨੀ ਵੱਲ ਚਲੀ ਗਈ ਹੈ।ਜਿਸ ਕਿਹਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਰਾਜ ਸਰਕਾਰਾਂ ਉੱਤੇ ਦੋਸ਼ ਲਗਾਏ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਅਜਿਹੀ ਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ, ਕੋਰੋਨਾ ਨਾਲ ਨਜਿੱਠਣ ਦੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਹੁਣ ਸਾਡੀ ਆਪਣੀ ਹੈ.

 

ਅਖਿਲੇਸ਼ ਕੁਮਾਰ 'ਅਰੁਣ'

ਫ੍ਰੀਲਾਂਸ ਟਿੱਪਣੀਕਾਰ / ਲੇਖਕ

ਪਿੰਡ ਹਜ਼ਰਤਪੁਰ, ਜੀਲਾ ਲਖੀਮਪੁਰ-ਖੇੜੀ


पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

सबसे ज्यादा जो पढ़े गये, आप भी पढ़ें.