मातृभाषा दिवस पर विशेष
21 फरवरी, हमार आपन मातृभाषा कऽ दीन हओ 'अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' हमरा घर-परिवार के आपन लोगिन के बोली जहां सब कुछ भोजपुरिए में बोलल आउर बतीआवल जाला। माई भ पापा, चाचा-चाची आउर भाई-बहिन सभे लोग दादा-दादी के भोजपुरी छोड़ हिंदी में बतियावल अबो याद बा, न शुद्ध हिन्दिए न भोजपुरिए। उदाहरण ला हिन्दी में प्रयास देखिए, १- आही माई! सब पीसान त कुकुर जुठार दिया, आ हाई माई दुआर प बईठ के नजारा मार रहीं है। २- हमरे इहाँ फेंड़ पर कऽ अमरूत बहुत मीठा होता है पर कीड़ा लग जाता है बाकिर बुझाता नहीं है जब उसको चियार के देखिए तऽ छोटा-छोटा पिलुआ लऊकेगा.....! 3. आज-काल्ह के लईकी लोगिन के नखरा अलगहीं रहता है, काम न धाम के दुश्मन अन्न्जाज....अभी हमारी माता जी भी भोजपुरी से हिंदी में बात करते हुए असहज महसूस करती हैं। हम जान बुझकर अपनी मातृभाषा का पुट अपने दैनिक जीवन की बोल-चाल की भाषा में मिलाकर प्रयोग करते हैं यथा- ऐ सेठ एक ठो डिटॉल साबून और एक ठो ......दू ठो.......मने पूछिये मत इतना बोलना होता कि भीड़ में हम अपनी अलग पहचान बना बैठते हैं।
भोजपुरी हमारी मातृभाषा है जन्म लेने के बाद केवल रोना-हंसना जानते थे, भाषा विकास में बहुत बड़ा सहयोग रहा है तबसे लेकर अब तक हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, अवधि, थारु, पंजाबी आदि भाषाएं/बोली लिख-पढ़ और बोल लेते हैं पर आत्मसंतुष्टि हमें अपनी मातृभाषा में ही मिलती है। मां जैसा प्यार और दुलार मिलता है हमें, हमारी मातृभाषा से "कहऽ थोड़ी सऽ बुझालाऽ पूरा।"
जब हमें, हमारे यहां के स्थानीय (खीरी जिले के ) मित्र आपस में भोजपुरी भाईयों के साथ बात करते देखते हैं तो कभी-कभी उनका बचकाना सवाल होता है कि आपके तरफ दूधमुंहे बच्चे भी भोजपुरी में बोलते हैं क्या? बिल्कुल बोलते हैं भाई, उनके तोतले मुंह से भोजपुरी और सुंदर बन पड़ती है बस मन करता है सुनते ही जाएं।
आज मैं भोजपुरी में लेखन भी करता बहुत से गीत और कविताएं भोजपुरी की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं और होती रहेंगी कुछ हमारे गीत भोजपुरी में यूट्यूब के लिंक पर भी मिल जाएगा भोजपुरी में एक से एक माटी गीत हैं खूब सुनिए और सुनाईए पर टुटपुंजिहे गायकों का गीत सुनकर हमारी मातृभाषा को बदनाम मत कीजिए भोजपुरी को बदनाम करने और बुराई करने वाले लोग कभी भोजपुरी के असल गीत नहीं सुने होंगे। अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' के फेनु से हारदिक शुभकमना।
-अखिलेश कुमार 'अरुण'
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