दलित
समाज के प्रथम शिक्षक महात्मा ज्योतिबा फुले जी के जीवन का संक्षिप्त इतिहास
जन्म- 11 अप्रैल सन् 1827,पुणे मुम्बई
माता-पिता- चिमड़ाबाई,गोबिन्दराव
माता
के बचपन में निधन हो जाने के बाद इनका लालन-पालन पिता की मौसेरी बहन सगुणाबाई ने
किया।
14
वर्ष की उम्र में इनका विवाह सावित्रीबाई (8 वर्ष) के साथ सम्पन्न करा दिया गया।
काशीबाई
विधवा स्त्री के अवैध संतान को गोद लिया था जिसका नाम यशवंत राव था।
शस्त्र
की शिक्षा लाहुजी भाऊ से प्राप्त किया साथ में दो और छात्र थे-बाल गंगाधर तिलक,बलवंत फड़के
14
जनवरी 1848 को
भिड़ के मकान में बालिका शिक्षा की प्रथम पठशाला की स्थापना की गयी,जिसकी मुख्य अध्यापिका थी सावित्रीबाई
(15 वर्ष)।
अछूत
बच्चों की शिक्षा के लिये 01 मई 1852 को प्रथम पठशाला की स्थापना की गयी।
मुम्बई
सरकार द्वारा 16
नवम्बर 1852 को
सम्मानित किया गया।
विधवा
स्त्रियों की दयनीय दशा पर 28 जन. 1953 को बाल हत्या प्रतिबन्धक गृह की
स्थापना की गयी।
पहली
पुस्तक -तृतीय रत्न का प्रकाशन 1855 में किया गया,शिवाजी-जा-पंवाणा 1869,ब्राह्मणांचे कसब,किसान का कोणा, अछूतों की कैफियत, गुलामगीरी,अन्तिम पुस्तक-सार्वजनिक सत्यधर्म पुस्तक
1889।
संपादन-सतधार
पत्रिका
दलितों
की मुक्ति का घोशणा-पत्र कहा गया उनकी पुस्तक गुलामगीरी को।
संगठन-
महिला सेवा मण्डल,सत्य
शोधक समाज
पुणे
नगरपालिका के सदस्य रहे 1876-1882 तक
11 मई
1888 को
नागरिक अभिनन्दन कर महात्मा की उपाधि दी गयी, सयाजीराव गायकबाण ने इन्हें बुकर टी वाशिगंटन
के नाम से सम्बोधित किया है।
1888 में
लकवा रोग से ग्रस्त हो गये और 28 नव.1890 को 63 वर्ष की आयु में निर्वाण को प्राप्त
हुये।