साहित्य
- जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
- लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
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संविधान बनाम सनातन" की दुबारा जंग छिड़ने की आशंका-नन्दलाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर)
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भोजपुरी कविता अछूत के सिकयित हीरा डोम की साहित्य जगत में उपलब्ध एकमात्र रचना गुगल से साभार हमनी के रात-दिन दुखवा भोगत बानी, हमनी...
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