साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Thursday, June 03, 2021

आजादी फिर मांग रहा है अपना हिंदुस्तान

 

रमाकान्त चौधरी

गैरों से तो बचा हुआ है अपना मुल्क महान।

 अपनों से पर लुटा जा रहा भारत का अभिमान ।

आओ मिलकर तोड़े हम सब जंग लगी जंजीरों को,

 आजादी फिर मांग रहा है अपना हिंदुस्तान।

 

भगत बोस बिस्मिल आजाद ने अपनी बलि चढ़ा दी।

 और देश के दीवानों ने हंसकर जान लुटा दी।

 उसी देश में आज खो रहा वीरों का बलिदान ।

आजादी फिर मांग रहा है अपना हिंदुस्तान।

 

 जिनको आया देश की खातिर केवल जान लुटाना।

 कुर्बानी उनकी भूल चुका है यह खुदगर्ज जमाना।

 आज झूठ को ताज बंधा है सत्य हुआ बदनाम।

 आजादी फिर मांग रहा है अपना हिंदुस्तान।

 

 याद करो झांसी की रानी जिसने लोहा मनवाया ।

उसकी हिम्मत देखके यारों हर  दुश्मन था थर्राया ।

उसी देश में आज हो रहा नारी का अपमान।

 आजादी फिर मांग रहा है अपना हिंदुस्तान।

 

 कभी जहां पर मंदिर मस्जिद और शिवाले होते थे,

 आज वहां पर रिश्वतखोरी और घोटाले होते हैं।

 बदल गए हैं लोग यहां के बदल गया ईमान ।

आजादी फिर मांग रहा है अपना हिंदुस्तान।

 

 आज हो रहा कुर्सी खातिर गली-गली में दंगा ।

मानवता को भूलके मानव नाच दिखाता नंगा ।

भूल गया संस्कृति अपनी भूल गया संविधान।

 आजादी फिर मांग रहा है अपना हिंदुस्तान ।

 

शासन सत्ता हाथ में उनके जिनका कोई ईमान नहीं ।

कुछ भी हो सकते हैं लेकिन हो सकते इंसान नहीं ।

जो गली-गली में बेच रहे हैं टुकड़ों में ईमान।

 आजादी फिर मांग रहा है अपना हिंदुस्तान ।

 

अब तो सबक सिखाना होगा छुपे हुए गद्दारों को ।

मारके तुम्हें भगाना होगा देश के इन हत्यारों को।

 और यहां पर लाना होगा फिर से वही सम्मान ।

आजादी फिर मांग रहा है अपना हिंदुस्तान ।

 

बच्चे खेले खेल जहां पर गुड्डे गुड़ियों वाला ।

उनके मन में डर न कहीं हो हब्सी भेड़ियों वाला।

 और शान से बोल सके वह मेरा देश महान ।

आजादी फिर मांग रहा है अपना हिंदुस्तान ।

 

गैरों से तो बचा हुआ है अपना मुल्क महान ।

अपनों से पर लुटा जा रहा भारत का अभिमान।

आओ मिलकर तोड़े हम सब जंग लगी जंजीरों को,

आजादी फिर मांग रहा है अपना हिंदुस्तान।

 


ग्राम - झाऊपुर, लंदनपुर ग्रंट,

गोला गोकर्णनाथ, लखीमपुर खीरी।

उत्तर प्रदेश।

Mob. No.- 9415881883

Gmail- rkchaudhary2012@gmail.com

YouTube channel- bas Tumhare liye

Wednesday, June 02, 2021

ग़ज़ल (डी.के.भास्कर)

डी के भास्कर


तुम्हारा आंकड़ों का खेल जारी है

हमारी जिन्दगी पर खूब भारी है।

 

बयाँ सब कर रही हैं तैरती लाशें

हकीकत इस तरह सारी उघारी है।

 

तुम्हें कैसे भला यूं नींद आती है

हमें पूछो कि कैसे शब गुजारी है।

 

अगर कुछ लोग मरते हैं मरें बेशक

मगर सरकार को तस्वीर प्यारी है।

 

तुम्हारे अश्क झूठे हैं फरेबी हैं

रुदाली बन गये कैसी बिमारी है।

 

बड़ी उम्मीद से ये ताज सौंपा था

यही गलती पड़ी भारी हमारी है।

 

समय की मांग है अब चल फकीरा चल

उठा झोली बढ़ा अपनी सवारी है।

(संपादक मासिक पत्रिका डिप्रेस्ड एक्सप्रेस, मथुरा)

 

प्रीती की कलम से

प्रीति गौतम
कहाँ तक अंधविश्वास में जिओगे।
पढ़ोगे तभी तो तुम आगे बढ़ोगे ।।
 
कभी बाबा साहेब का संविधान पढ़ो।
कभी देख के कांशीराम का संघर्ष बढ़ो।।
 
माता सावित्री बाई के पथ पर चलोगे।
पढ़ोगे तभी तो तुम आगे बढ़ोगे ।।
 
भले आएं जितने भी कांटे राहों में।
हो बस किताबें तुम्हारे हाथों में ।।
 
क़लम से तुम नया इतिहास रचोंगे।
पढ़ोगे तभी तो तुम आगे बढ़ोगे।।
 
करें कोई चाहें कुछ मगर सच यही है।
कौम जो हमारी आज आगे बढ़ रही है।।
 
इसी से आगे चलकर राज करोगे ।
पढ़ोगे तभी तो तुम आगे बढ़ोगे।।
                                                                                                            निवास-सेनपुर लखीमपुर खीरी

ग़ज़ल (नन्दी लाल)

  

 नन्दी लाल

उम्र भर यह वबा का साल तुझे।

 याद आएगा    बहरहाल  तुझे।।

 

मर गया वह गरीब था घर का,

उसके मरने प क्या मलाल तुझे।।

 

 रोज करता नए    दिखावे है,

 उसके अच्छे लगे कमाल तुझे।।

 

 बैठकर काढ़ कसीदे उस पर,

 दे गया वो नया रुमाल तुझे।।

 

 क्यों खड़ा ताक रहा साहब को,

 याद आया कोई सवाल तुझे।।

 

 लोन खाता था रोज रोटी पर,

 आज अच्छी न लगे दाल तुझे।।

 

 राज महलों में क्या नहीं होता,

 झोपड़ी का दिखा बवाल तुझे।।

 

 आँसुओं को सुखा के बैठा है,

 पीटना आ गया है गाल तुझे।।

 

 बेवजह शे'र लिख रहा  ऐसी,

 हो गया क्या है नंदीलाल तुझे।।

 


निवास-गोला गोकर्णनाथ खीरी

ज्ञान भरें हैं पुस्तक में


डॉ. सतीश चन्द्र भगत


मेरे घर में है अलमारी,

रखी पुस्तकें इसमें सारी ।

 

सजे हुए हैं इसके खाने,

मोटे- पतले ग्रंथ पुराने ।

 

कहते दादा पढ़ना सीखो,

सोच समझकर बढ़ना सीखो ।


मिहनत करके मंजिल चढ़ना,

अच्छी- अच्छी पुस्तक पढ़ना ।


इनसे तुमको  ज्ञान मिलेंगे,

जीवन में सम्मान मिलेंगे ।

निदेशक- हिन्दी बाल साहित्य शोध संस्थान, बनौली, दरभंगा ( बिहार) -847428

Tuesday, June 01, 2021

सफाई वाला (लघुकथा)

    एक सड़ी हुई क्षत-विक्षत लावारिस डेड बॉडी अस्पताल में आई। पोस्टमार्टम हाउस में कोई डॉक्टर उसे पहचान नहीं पा रहा था कि बॉडी स्त्री की है या पुरूष की। सड़ांध के कारण, दूर से ही डॉक्टर खानापूरी करना चाह रहे थे। तब डॉक्टरों ने सफाईकर्मी कमरूद्दीन को बुलाया। डॉक्टरों ने उससे कहा कि वह पहचाने कि बॉडी किस की है। कमरूद्दीन ने एक ही क्षण में निहार कर कहा-साहब स्त्री की है।

   तब एक डॉक्टर ने उससे चुटकी ली-यार! ये बताओ हम उतनी देर से नहीं पहचान पाए, तुम इतनी जल्दी कैसे पहचान गये?

   कमर-मैंने दिल की आँखों से, मन की आँखों से देखा।

   दूसरा डॉक्टर बोला-अरे! यार, ये आँखें हमें क्यों नहीं मिली?

   कमर-क्यों कि आप डॉक्टर हैं, मैं सफाई कर्मी हूँ?

   अब वहाँ निःशब्दता में मिश्रित शून्यता, छा गई। डॉक्टर शान्ति से खानापूरी में लग गए।

 

सुरेश सौरभ

 

निर्मल नगर लखीमपुर खीरी

पिन-262701

अब लक्षद्वीप में बवाल खड़ा करने का क्या मकसद ?

अब लक्षद्वीप में बवाल खड़ा करने का क्या मकसद ?


अजय बोकिल


अरब सागर का हीराकहे जाने वाले शांत लक्षद्वीप में भी अब सियासी तूफान उठने लगा है। वजह है ‍वहां के प्रशासक प्रफुल्ल भाई पटेल द्वारा नए नियमों को लागू करना। विरोधी इसे लक्षद्वीप की संस्कृति में अनावश्यक सरकारी दखल और आरएसएस एजेंडे को लागू करना मानते हैं तो प्रशासक पटेल के अनुसार यह सब द्वीप समूह के विकास  के लिए किया जा रहा है। केरल विधानसभा ने तो बाकायदा सर्वसम्मत  प्रस्ताव पारित कर प्रशासक पटेल के कदमों का विरोध करते हुए केन्द्र से उन्हें वापस बुलाने की मांग की है। उधर पश्चिम बंगाल में मुख्य सचिव के तबादले को लेकर मोदी- ममता पंगा चल ही रहा है। वहां राजनीतिक खुन्नसें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। जिस तरह देश में केन्द्र सरकार और गैर भाजपा शासित राज्यों के बीच विभिन्न मुद्दों पर टकराव बढ़ रहा है, उससे लगता है कि इन सरकारों की दिलचस्पी कोविड संकट से जूझने से ज्यादा राजनीतिक बवाल के नए मोर्चे खोलने में है। इसका क्या अर्थ निकाला जाए, अपनी नाकामियों से ध्यान हटाना या फिर किसी भी कीमत पर अपना एजेंडा लागू करना? इसका अंजाम क्या होगा, यह सोचने की बात है।

देश के इतिहास में यह पहली बार है, जब एक राज्य की विधानसभा ने किसी केन्द्र शासित प्रदेश के प्रशासन में राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए, वहां प्रशासक की वापसी की मांग का प्रस्ताव पारित किया हो। यही नहीं सभी विरोधी पार्टियों ने राष्ट्रपति को एक संयुक्त याचिका भेजकर प्रशासक प्रफुल भाई पटेल को वापस बुलाने की मांग की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र कर लिख कर कहा कि प्रशासक द्वारा लाए गए लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण नियमन अधिनियमका मसौदा इस बात का सबूत है कि लक्षद्वीप की पारिस्थितिकीय शुचिता को कमतर करने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी इस मामले को लेकर राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है। उधर लक्षद्वीप में मोदी सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासक प्रफुल पटेल के खिलाफ भाजपा के ही एक धड़े ने मोर्चा खोल दिया है, तो दूसरा उनके समर्थन में है।

यह भी पहली बार ही है कि बाकी देश सुदूर लक्षद्वीप और वहां की राजनीति के बारे में जान रहा है कि समुद्र से घिरे इस द्वीप समूह में क्या और क्यों हो रहा है? गौरतलब है कि लक्षद्वीप देश के दक्षिण-पश्चिम में मलाबार तट के पास स्थित 36 द्वीपों का समूह है। इनमें से एक लक्षद्वीप भी है। पूरे द्वीप समूह को लक्षद्वीप नाम 1973 में दिया गया। लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती द्वीप है। लक्षद्वीप देश की सबसे छोटी केन्द्र शासित प्रदेश इकाई भी है। मध्यम पूर्व की दृष्टि से द्वीपों का सामरिक महत्व है। यहां हमारी नौसेना का बड़ा अड्डा भी है। लक्षद्वीप के 96 फीसदी लोग मुसलमान हैं और वे मलयाली या धिवेही भाषा बोलते हैं। किसी जमाने में यहां बौद्ध धर्म प्रचलित था, लेकिन बाद में ज्यादातर ने सुन्नी इस्लाम अपना‍ लिया। यहां हिंदुअों की आबादी तीन फीसदी से भी कम है। इतिहास में लक्षद्वीप पर कुछ समय पुर्तगालियों का शासन भी रहा। फिर यह मुस्लिम शासकों के अधीन रहा। बाद में इस पर ‍अंग्रेजों ने अधिकार कर लिया। देश की आजादी के बाद 1956 में लक्षद्वीप को केन्द्रशासित प्रदेश बना दिया गया। प्रशासनिक दृष्टि से पूरा लक्षद्वीप एक ही जिला है, जिसकी आबादी करीब 65 हजार है। नारियल और मछलीपालन यहां के मुख्यए उद्योग हैं। लक्षद्वीप सुंदर पर्यटन केन्द्र भी है। यहां केन्द्र सरकार प्रशासक की नियुक्ति करती है, जो अमूमन वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ही होते थे। लेकिन पहली बार मोदी सरकार ने लक्षद्वीप के प्रशासक की कमान ऐसे राजनेता प्रफुल भाई खोड़ा भाई पटेल को सौंपी, जो गुजरात में उनके मंत्रिमंडल में मंत्री रहे हैं। आरएसएस से उनका पुराना नाता है। दरअसल विवाद की जड़ प्रशासक द्वारा लाए गए दो एक्ट हैं। ये हैं लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण नियमन एक्ट तथा लक्षद्वीप असामाजिक गतिविधि निरोधक एक्ट। इन कानूनों को लेकर लक्षद्वीप वासियों में कई आशंकाएं हैं। उनमें पहला तो लक्षद्वीप विकास के नाम पर उनकी कथित रूप से उनकी जमीनें हड़पने और गोमांस प्रतिबंधित करने को लेकर है। कहा जा रहा है ‍कि जब भाजपा शासित राज्य गोवा में बीफ पर रोक नहीं है, तो लक्षद्वीप में गोमांस व गोहत्या विरोधी कानून क्यों लागू किया जा रहा है? दूसरे, प्रशासक पटेल ने लक्षद्वीप का समुद्री परिवहन सम्बन्ध केरल की जगह कर्नाटक से जोड़ने की पहल की है। इसका राजनीतिक एंगल यह है कि केरल में वाम मोर्चे की सरकार है, तो कर्नाटक में भाजपा की। तीसरा है, द्वीप के कई अंचलों  से शराब पर प्रतिबंध हटाना ताकि सभी को शराब सुलभ हो सके। बताया जाता है कि अभी इस दवीप समूह के केवल बंगरम द्वीप में ही शराब मिलती  है, लेकिन वहां कोई स्थानीय आबादी नहीं है। चौथा, इस द्वीप समूह में आपराधिक गतिविधियां रोकने के लिए गुंडा एक्ट लागू करना है। जबकि नए कानून के मुताबिक पुलिस किसी को भी बिना कारण बताए 1 साल के लिए बंद कर सकती है। पांचवां, प्रदेश में दो बच्चों से ज्यादा वालों को पंचायत चुनाव की उम्मीदवारी से बाहर करना है। छठा, क्षेत्र के स्कूलों के मिड डे मील और होस्टल मेस में मांसाहारी व्यंजनों पर प्रतिबंध लगाना। उधर लक्षद्वीप सांसद व एनसीपी नेता मोहम्मद फैजल ने प्रशासक के कदमों का विरोध करते हुए कहा है कि नए अधिनियम के तहत वह यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि मुझे क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? वो मेरा संवैधानिक अधिकार छीन रहे हैं।हालांकि  इस बारे में प्रशासक प्रफुल पटेल का कहना है कि जो ‍कुछ भी हो रहा है, सब नियमों के मुताबिक ही है। उनके मुताबिक विरोध के स्वर लक्षद्वीप से ज्यादा केरल से उठ रहे हैं। हमने पंचायतों में महिलाअों को पचास प्रतिशत आरक्षण दिया है। उस पर कोई नहीं बोल रहा है। पटेल के अनुसार हमारा मकसद द्वीप को स्मार्ट सिटी बनाना है। गुंडा एक्ट लागू करने के पीछे पटेल का कहना है कि इस क्षेत्र से ड्रग्स की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है, जिसे रोकने के लिए ही यह एक्ट लाया गया है। निर्दोष लोगों को इससे डरने की जरूरत नहीं है। लेकिन भाजपा इस मामले को लेकर दो फाड़ में दिखाई देती है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ए. पी. अब्दुल्लाकुट्टी ने आरोप लगाया कि विपक्षी नेता प्रशासक पटेल का विरोध इसलिए ,कर रहे हैं,  क्योंकि उन्होंने द्वीपसमूह में नेताओं के भ्रष्ट चलनको खत्म करने के लिए कुछ खास कदम उठाए हैं। अब्दुल्लाकुट्टी लक्षद्वीप में भाजपा के प्रभारी भी हैं। जब कि लक्षद्वीप बीजेपी के महासचिव मोहम्मद कासिम का कहना है कि यह तानाशाही है। उन्होंने इसके‍ खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी है। उनका कहना है कि पटेल के प्रस्तावों  से स्थानीय लोगों के हाथ से नौकरियां चली जाएंगी। यह भी कहा जा रहा है कि पटेल प्रशासन के फैसलों के विरूद्ध कई भाजपा कार्यकर्ताअोंने पार्टी छो़ड़ दी है। हालांकि लक्षद्वीप भाजपा अध्यक्ष हाजी पटेल इसे गलत बताते हैं। वो मानते हैं कि नए प्रस्तावों से लक्षद्वीप का विकास होगा। केरल के. सुरेन्द्रन भी हाजी पटेल की बात का समर्थन करते हैं। 

लेकिन मामला इतना आसान नहीं है, जितना बताया जा रहा है। लक्षद्वीप के प्रशासक की कार्यशैली को  सेक्युलरवाद बनाम राष्ट्रवादकी लड़ाई में तब्दील करने की कोशिश की जा रही है। यही कारण है कि केरल राज्य ने दूसरे केन्द्रशासित प्रदेश के प्रशासक के खिलाफ प्रस्ताव पास किया। विधानसभा में इसे पेश करते हुए मुख्यमंत्री पी. विजयन ने केरल और लक्षद्वीप के लोगों के बीच ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को याद किया और वहां स्वाभाविक लोकतंत्रको नष्ट करने की कथित कोशिश के लिए केंद्र की निंदा की। इस प्रस्ताव का सत्तारूढ़ वाम मोर्चे के साथ कांग्रेसनीत यूडीएफ ने भी समर्थन किया। प्रस्ताव में कहा गया कि लक्षद्वीप में भगवा एजेंडा और कारपोरेट हितों को थोपने की कोशिश की जा रही है। इसकी शुरूआत लक्षद्वीप में नारियल वृक्षों को भगवा रंगने से हुई। यह लक्षद्वीप की संस्कृति व पहचान को नष्ट करने की कोशिश है। बता दें कि केरल विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित करने का मुख्य कारण यह है कि लक्षद्वीप की ज्यादातर निर्भरता केरल पर ही है। 

वैसे भी प्रशासक प्रफुल पटेल विवादित शख्सियत रहें हैं। दमन दीव के निर्दलीय सांसद मोहन भाई डेलकर की आत्महत्या के सिलसिले में उनका नाम आया था। मुंबई पुलिस की एफआईअार में भी उनका नाम है। डेलकर के बेटे ने पटेल पर 25 करोड़ की वसूली के लिए धमकाने का आरोप भी लगाया था। लेकिन उसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई, जब कि देलकर पूर्व में भाजपा से भी सांसद रह चुके थे। इससे भी बड़ा सवाल यह भी है कि जब समूचा देश कोरोना से जूझ रहा है ( जिसमें लक्षद्वीप भी शामिल है, वहां अब तक कोरोना से 25 मौतें हो चुकी हैं) तब नए विवाद खड़े करने का असल मकसद क्या है? अगर लक्षद्वीप के निवासियों को विश्वास में न लेकर कोई काम किया जा रहा है तो उसका दूरगामी अंजाम क्या होगा? और इसकी हमे कितनी कीमत चुकानी पड़ेगी ?

(लेखक भोपाल, इंदौर से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे में वरिष्ठ संपादक हैं)

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