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रमाकांत चौधरी एडवोकेट |
गली व नगर की सफाई हुई है,
रंगाई हुई है पुताई हुई है,
चमाचम चमकने लगे घर सभी के,
खुशियों से भरने लगे घर सभी के,
द्वारे पर रंगोली सजने लगी है,
युवाओं की टोली निकलने लगी है,
बजा बैंड बाजा थिरकने लगे सब,
जयभीम जयभीम कहने लगे सब,
खुशी से मगन है चाचा व चाची,
उनकी छोटी बिटिया जी भर के नाची,
ना डर है किसी को किसी का किसी से,
प्यार से मिल रहे लोग सब सभी से,
चौदह अप्रैल सबसे आला हुआ है।
लंदनपुर का जलवा निराला हुआ है।
आगे चले भीमराव जी की झांकी,
साहू जी की झांकी बुद्ध फुले की झांकी,
हजारों लोग संग चले जा रहे हैं,
बाबा साहब की जय-जय कहे जा रहे हैं,
कोई पैदल चले कोई ट्राली पर बैठा,
कोई रूठा - रूठा चले ऐंठा - ऐंठा,
नई साड़ी पहन इतराती फिरें,
दादी बाबा को आंखें दिखाती फिरें,
महेंदर की बीवी जितेंदर की भाभी,
न माने किसी की भरे खूब चाबी,
खुद भी वे नाचे नचावें सभी को,
गीत बाबासाहब के गवावें सभी को,
हर शख्स बस जयभीम वाला हुआ है।
लंदनपुर का जलवा निराला हुआ है।
दादी व पोती का लफड़ा हुआ है,
आगे बैठइ की खातिर ये झगड़ा हुआ है,
हँसि - हँसि मजा सब लिए जा रहे हैं,
बुद्ध फूले की जय-जय किए जा रहे हैं,
लड़िका डीजे का वॉल्युम फुल पर किए हैं,
मारे खुशी के वै मन की किए हैं,
कभी दौड़ि पीछे कभी आगे - आगे,
रैली के मुखिया फिरें भागे - भागे,
न माने किसी की करें जोरा - जोरी,
नीला गुलाल सब लगावें छोरा - छोरी,
नीला झंडा सभी लहराते फिरें,
हीरो माफिक वै रुतबा दिखाते फिरें,
बुरी नजर वालों का मुंह काला हुआ है।
लंदनपुर का जलवा निराला हुआ है।
पसीना - पसीना नहाए हैं सब,
बैंड वाले का मिलिके थकाए हैं सब,
संभाले न संभले ये भीम जी का रेला,
फैल इसके आगे सब दुनिया का मेला,
बाबासाहब के दर्शन करें ग्रामवासी,
उनके लिए बस यही मथुरा काशी,
आरती उतारे उनकी पुष्प चढ़ावें,
बाकी सभी का वै शरबत पिलावें,
मिला जो हमें सब इन्हीं की बदौलत,
कुर्बान चरणन मा इनके सब दौलत,
पूरे बरस वे चिंतित रहे हैं,
जो जुलूस में जाने से वंचित रहे हैं,
भीम जैसा न कोई रखवाला हुआ है।
लंदनपुर का जलवा निराला हुआ है।