साहित्य

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  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Sunday, July 04, 2021

डोली चढ़ के दुल्हन ससुराल-सुरेश सौरभ

परंपरा
        बात पिछले माह 25 जून की है। उत्तर प्रदेश के जिला फतेहपुर हथगाम ब्लॉक के बन्दीपुर गाँव में शिवनारायण सिंह लोधी के घर, भिठौरा ब्लॉक के रहिमापुर सानी से बाबू सिंह लोधी के पुत्र कमलेश कुमार की जब बारात आई , तो जनवासे में सजी-धजी पालकी ( डोली ) रखी हुई थी, जिसे आज के युवा उस पालकी को सिर्फ फिल्मों में ही देखा होगा या फिर बचपन में दादा-दादी की कहानियों में ही सुना होगा। जनवासे में रखी वह पालकी लोगों के लिए आकर्षण और आश्चर्य का केन्द्र थी।
 
        बारात जब दुल्हन के गांव पहुंची, तो द्वारचाल के लिए, दूल्हे  कमलेश कुमार को पालकी में बैठा कर लाया गया। इस मोहक दृश्य ने भी गाँव के तमाम लोगों व रिश्तेदारों का खासा मन मोह लिया। औरतें और बच्चे तो बड़ी हैरत से यह नजारा देख कर अपनी सुखद स्मृतियों में संजो रहे थे।
      सुबह जब बिदाई की बेला आई, तो दुल्हन को पालकी में बिठाकर कर विदाई दी गई। विदाई की इस अद्भुत और भावुक बेला को देखकर,सभी बड़े बुजुर्ग इस लुप्त हो रही परंपरा को दोहराये जाने की मुक्त कंठ से प्रशंसा कर रहे थे।
     आधुनिकता की दौड़-भाग में लोग जहां पुरानी पंरपराओं को भूल चूके हैं, वहाँ ऐसी परंपराओं की पुनः वापसी, लोगों में गये बीते दिनों की यादें ताजा करके मन को रोमांचित और प्रफुल्लित कर देतीं हैं।
   परिजनों के अनुसार जनपद फतेहपुर के युवा लेखक लघु फिल्मों निर्देशक शिव सिंह सागर ने अपनी बहन कविता लोधी का रिश्ता तय होने के बाद, अपने बहनोई कमलेश कुमार लोधी के साथ मिलकर यह अनोखी योजना बनाई।  
      शिव सागर ने बताया, कि जहाँ बहुत से लोग इस दौर में कुछ नया करने के चक्कर में लगे रहते हैं, वहीं हमने कुछ पुराना करके बहन की, शादी को यादगार बना दिया। डोली और पालकी के सुखद समन्वय से हमने पुरानी परंपराओ को जीवंत बनाने का प्रयास किया हैं।
       इस बारे मे कवि रमाकान्त चौधरी का कहना है ऐसी कम खचीर्ली परंपराओं को यदि पुनः वापसी हो जाए तो दिखावा करके शादी-ब्याह में लाखों फूंकने वालों को सीख मिलेगी। जबकि अभिनेता वसीक सनम कहतें हैं, पुरानी परंपरा को शिव सिंह सागर ने दोहरा कर समाज को यह संदेश दिया है नया नौ दिन पुराना सब दिन।



पता-निर्मल नगर लखीमपुर खीरी
मो-7376236066

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