साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Sunday, May 30, 2021

भीम गीत, तुम्हारे ज्ञान का आलोक

 1 मई ,मज़दूर दिवस और अम्बेडकर – राष्ट्रीय सत्ता

तुम्हारे ज्ञान का आलोक

शब्दों की कारीगरी का अमिट उजास

जो पुस्तकों में छुपा था,

उसे चिन्हित कर

तुम खुद जगमगाए।

उस ज्ञान की लौ का

अपरिमित विस्तार

तुमने फैला दिया

अंधेरों में सिसकने वाले

निरीहों तक।

आँखों में पाकर उजले स्वप्न

ले हाथों में कलम की शक्ति

अपराजेय

जो ललकारती निर्भय होकर,

जो दहाड़ती निशंक होकर।

गूँज इस दहाड़ की

स्मरण करवाती

हर श्वास के साथ

तुम्हारा!

ओ!महामानव!

राह सुझाती हर दिशाहीन को।

तुम्हारी चेतना,

तुम्हारी सजगता,

तुम्हारा आह्वान,

तुम्हारा मानवाधिकारों के लिए क्रांति का स्फुरण,

आज

परिणति बनकर

जड़ों-जड़ों सा अनवरत

सुदूर फैल रहा विशाल बरगद की तरह।

इस बरगद की छांव में पनपा

हर बीज अपनी-अपनी सफलता की

स्वर्णिम हरीतिमा के साथ

दोहराए.....

अपनी यही परंपरा

किसी अन्य की स्वप्निल हरियाली के

यथार्थ बनने तक।

बाबा तुम्हारे मिशन के हर छोर तक... दूर - दूर तक........

बहुत

दूर - दूर तक....... ।

डॉ नूतन सिन्धु


डॉ नूतन सिन्धु (व्याख्याता)

नारनौल, हरियाणा

 

बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञाओं पर बाबूलाल को मिली यातनाएं.......सुल्तानपुर

 

“महज बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञाओं को शादी कार्ड पर छपवाने के चलते 4 दिन तक वृद्ध बाबूलाल को जेल के हवालात में बंद रखा। सामंती सोच के चलते ऐसा निर्णय लेन कहाँ तक उचित है, आखिर क्या मंशा है स्थानीय थाना प्रभारी देवेन्द्र सिंह की........”

 -अखिलेश कुमार अरुण

सुल्तानपुर में थाना कोतवाली की पुलिस ने गांव अभिया खुर्द के निवासी दलित समाज के बाबूलाल को महज इसलिए गिरफ्तार कर हवालात में डाल दिया, क्योंकि उन्होंने अपनी पोती की शादी के कार्ड में बाबासाहेब की उन 22 प्रतिज्ञाओं को प्रिंट करवा दिया था, जो स्थानीय लोगों और नाते-रिश्तेदारों के बीच बांटा गया, जिस पर स्थानीय ब्राहमणवादी के लोगों ने आपत्ति जताई और इसकी शिकायत जिले के स्थानीय कोतवाली देहात, दोमुंहा थाने में कर दी गई। देखिये पुलिस का रवैया कितनी संगीनता से इस आपत्ति को संज्ञान में लेकर त्वरित कार्यवाही करती है। जहाँ बाबा साहब का उपासक बाबूलाल देखते ही देखते अपराधी बन जाता है और बेवजह चार दिन हवालात में अपने को यह साबित करने के लिए बिता देता है कि वह निर्दोष है। बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर की 22 प्रतिज्ञाएं - 22 Vows of Dr. Ambedkar in Hindi  - DhammaGyan

 

बाबा साहब के उपदेश वास्तव में देश में अशांति का माहौल पैदा करता है तो बाबा साहब को दोषसिद्ध करने के लिए कोर्ट में स्थानीय थाना प्रभारी देवेन्द्र सिंह को अपील करनी चाहिए और उसके लिए एक लम्बी कानूनी लड़ाई लड़नी चाहिए जहाँ वह यह साबित कर सके कि बाबा साहब के द्वारा दी गयीं यह 22 प्रतिज्ञाएँ देश हित में उचित नहीं हैं।।।।ऐसा कर इन मनुवादियों द्वारा कर लिया जाता है तो उनके धर्म और समाज के लिए उनका यह बहुत बड़ा परोपकार होगा।

 

बाबूलाल, अपराधी

उत्तर प्रदेश की पुलिस की मनमानी कहें अथवा इसे सामन्ती वर्ग का शासन, संविधान और कानून के साथ ही साथ वंचित समुदाय पर दादागिरी, महज बाबा साहब 22 प्रतिज्ञाओं को शादी कार्ड पर छपवाने के चलते 4 दिन तक वृद्ध को जेल के हवालात में बंद रखा। जहाँ घर में विवाहोत्सव की घर में चार दिन बाद खुशिया ही क्खुशियाँ थीं, वहां पुलिस की मनमानी रवैया के चलते परिवार के लोग थाने के चक्कर लगते घूम रहे हैं। ऐसा क्या है बाबा साहब की उन प्रतिज्ञाओं में जिसके चलते वृद्ध को पोती की विदाई के तीसरे दिन ही गिरफ्तार कर लिया। उन्हें 24 मई से 28 मई तक हवालात में रखा गया। स्थानीय थाना प्रभारी देवेन्द्र सिंह ने बिना यह देखे कि यह मामला कानून तोड़ने का है या नहीं, करीब 70 साल के बाबूलाल को किस आधार पर बंद किया यह आपने आप में एक बड़ा प्रश्न है। क़ानून की अंधेर नगरी ऐसे हावी रही तो वह दिन दूर नहीं जिस दिन बाबा साहब की उन सभी शिक्षाओं और उपदेशों को गैरकानूनी ठहरा दिया जाएगा जो आज तक तर्क की कसौटी पर खरी उतरती रहीं हैं।

 

बाबा साहब ने उन 22 प्रतिज्ञाओं का संकलन बिना सोचे-समझे नहीं किया था। उनके जीवन का एक बड़े शोध का परिणाम हैं ये प्रतिज्ञाएँ जो बौद्ध अनुयायियों को उनके जीवन में मार्गदर्शित करती हैं। इन प्रतिज्ञाओं को बाबा साहब ने सन् 1956 में बाबासाहेब ने बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अपने अनुयायियों को बौद्ध धर्म की दीक्षा देते हुए दिलवाई थी। जिस प्रकार से गौतम बुद्ध के त्रिशरण और पंचशील का महत्त्व स्वीकार किया जाता है ठीक उसी प्रकार बाबा साहब के इन उपदेशों को भी स्वीकार किया जाता है क्योंकि आधुनिक युग के बौद्ध धम्म उद्धारक कहे जाते हैं। ऐसे में बाबा साहब के इन प्रतिज्ञाओं के खिलाफ पुलिस का यह कार्य निन्दनीय ही नहीं घोर और एक दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है इसलिए सलिम्प्त पुलिस अधिकारिओं के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाना चाहिए और हर्जाने-खर्चे के साथ ससम्मान बाबूलाल को उक्त प्रकरण में मुक्ति दिलवाई जानी चाहिए। हमारे गाँव-क्षेत्र में इन 22 प्रतिज्ञाओं के कार्ड का चलन बहुतायत में पाया जाता है आईये कोई इधर भी कानूनी कार्यवाही करने हमें अच्छा लगेगा ही नहीं अपने समाज के लिए कुछ करने का जज्बा जागेगा।

 

उपसम्पादकीय

अस्मिता ब्लॉग (anviraj.blogspot.com)

 

 

 

 

Saturday, May 29, 2021

कोरोना की त्रासदी पर एक मार्मिक सोहर गीत

 पुरबी के जनक 'महेद्र मिश्र' – अभिव्यक्ति 

                           सोहर

उठेला कोरोना के लहरिया, मचल हाहाकरिया हो

चारिउ ओरिया मौत के खबरिया नगरिया बेहाल भए हो

 

नाही अस्पताल मे जगहिया मिलैं,नाही डागडरवा मिलैं हो

बेड नाहीं मिले ,ना मिले  दवइया, मनइया बेहाल भए हो

 

नाहीं ऑक्सीजन गैसिया, घुटन लागी संसिया हो..

जइसे जल बिनु तड़पै मछरिया, मरैं नर नरिया हो

 

फफकि के रोवेले गुजरिया, उठेला  चीत्करिया हो

मोरे जिनगी में छवल अन्हरिया, नजरिया से नीर बहै हो

 

के माई कहिके बोलाई, के अँखिया खोलाई मोरी

रोवै बुलुकि के बुढ़िया मतरिया, नजरिया से नीर बहै हो

 

माई के सून भइली गोंदिया, बहिनियां के आस टूटल हो

ए हो बाबू के अंखिया सुखाइ गयो, जिया पथराइ गए हो

 

नाहीं  मिलै  है  चार  कन्हवां, कोरोनवां  से डर रहे  हो

कइसे पियवा के होवै संस्कार, बिपतिया अपार भए हो।

 

जइसे के भेड़ी बोकरिया, मरे हैं नर नरिया हो

भइली आन्हर बहिर सरकरिया, नगरिया बेहाल भए हो

मोहन लाल यादव

               

ग्राम-तुलापुर,पोस्ट- झूँसी ,जिला प्रयागराज (यूपी)

      मोबाइल 99 56 72 43 41

जय भीम महान

 डॉ भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि पर नमन - Jharkhand Khabri

'जय भीम महान'

जय भीम, जय भीम, जय भीम...

जय-जय-जय जय भीम, जय जय भीम महान

धरा - अम्बर में गूंजयमान यह नारा अब तो

हुआ क्रांति और नवचेतना का संचार

मानवता भी जागृत हुई

ज्योतिर्मय जग हुआ, हुआ सकल विहान।

नारा नहीं महज़ यह

है हमारी अस्मिता की पहचान

नव जागरण और क्रांति का प्रतीक यह

जय भीम से है हमारी शान।

नायक थे हम, मूक थे

एकलब्य और शंबूक थे

त्रिरत्न के मंत्र ने किया हमें गौरवान्वित और निहाल

धन्य हुए पाकर हम मानवता का समतामूलक विधान।

देन है यह महामना की

जगा आत्म स्वाभिमान

उद्धारक हुआ न जग में कोई दूसरा

भीम सम महान।

जय भीम, जय भीम, जय भीम...

जय-जय-जय जय भीम, जय जय भीम महान ।

पता-बोकारो,झारखण्ड

कपिलेश प्रसाद

लघुकथा, लव-जेहाद

लव जेहाद

 
-सुरेश सौरभ
माँ-बेटी अब हमारे पास यही एक विकल्प बचा है कि तू पुलिस वालों से यही कहे कि तुझे बरगला कर भगाने के लिए वह लड़का यहाँ आया था।

बेटी-पर यह तो सरासर गलत है। हमने एक ऐप के जरिए दोस्ती की, फिर मैंने ही उसे हैदराबाद से यहाँ बुलाया।

माँ तैश में-नालायक तू उसके साथ वहाँ पकड़ी गई है। तू क्या हमारी बिलकुल नाक ही कटाने पर तुली है, करमजली, अब तू वही कहेगी, जो मैं तुझे समझा रही हूँ। वर्ना अपनी सोसाइटी में इज्जत की धज्जियाँ उड़ जाएंगी और ऊपर से धर्म के आवारा सांड, हमें हुड़ेस-हुड़ेस कर कहीं का न छोडेंगे।

बेटी-पर मम्मी, ये तो अन्याय होगा?

माँ-अपनी और हमारी सलामती चाहती है, तो पुलिस के सामने यही कहना कि वह

तुझे लव जिहाद में फँसाने के लिए, बरगलाने के लिए, यहाँ इस शहर में आया था। न मानी, तो तेरे बाप भी मार-मार कर तेरा भुरता बना देंगे।

बेटी टूटे मन से-ठीक है, आप जैसा कहेंगी वैसा ही करूँगी। जैसा लोगों ने, आप को पढ़ाया है, वहीं तुम मुझे पढ़ा रही हो।

उस लड़की से, हैदराबाद से, मिलने आया, वह लड़का लोगों की अनुकम्पा से अब थाने में कैद था। फिर उस लड़की का बयान थाने में आया। फिर धर्म के उजड्ड सांड वहाँ आए। अफरा-तफरी मची। मीडिया कर्मी उस अफरा-तफरी में पूरी तरह कूदे और फिर वह लड़का, बाइज्जत लव जेहाद के जुर्म में जेल भेज दिया गया।

अब लड़की को सजा मिली, उसके बाप ने उसका स्मार्ट फोन छीन कर अपने कब्जे में कर लिया।

 

निर्मल नगर लखीमपुर खीरी पिन-262701 यूपी

मो-7376236066

 

पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

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