लखीमपुर खीरी फिल्में समाज का आइना होती है, आज की जीवन शैली में व्यस्तता के कारण साहित्य एवं सिनेमा में लघु विधाएं ज्यादा प्रचलन में हैं। आज साहित्य में लघुकथा सर्वाधिक प्रचलित विधा है। सिनेमा में शार्ट फिल्में भी खूब चलन में है। लघु फिल्म की बात करें तो एक से बढ़कर एक अच्छी लघु फिल्में चर्चा में आ रही हैं। हाल ही में अर्पिता फिल्म्स इंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी लघु फिल्म "पापा पिस्तौल ला दो" भी काफ़ी चर्चा में हैं। लघु फिल्म की कहानी प्रसिद्ध लघु कथाकार सुरेश सौरभ (लखीमपुर खीरी) ने लिखी है। साहित्य जगत में इनकी लघुकथा " पापा पिस्तौल ला दो " खूब सराही गई। जिससे प्रभावित होकर फतेहपुर जनपद के युवा फिल्म निर्देशक शिव सिंह 'सागर' ने इस लघुकथा पर लघु फिल्म बनाई है। फिल्म की केंद्रीय भूमिका में ऋचा राजपूत ने बड़ी ही खूबसूरती से निम्मी के किरदार को जिया है। फतेहपुर के सशक्त अभिनेता आर. चद्रा ने माधव यानि पिता के चरित्र को अपने अभिनय से सजा दिया है। इसके अतिरिक्त सहयोगी कलाकारों में राजकुमार, कुनाल, दिव्यांशु पटेल, भूमि श्रीवास्तव, पीहू, अनुराग कुमार, अंश यादव आदि कलाकारों ने लघु फिल्म में महती भूमिका निभाई है। फिल्म को कैमरे पर खूबसूरती से उतारा है पिंकू यादव ने। ओम प्रकाश श्रीवास्तव, डॉ. मिथिलेश दीक्षित, डॉ. द्वारिका प्रसाद रस्तोगी, संजीव जायसवाल 'संजय' वसीक सनम, राजू फतेहपुरी, विजय श्रीवास्तव आदि साहित्य कला से जुड़े विशिष्ट जनों ने फिल्म की पूरी यूनिट को बधाई दी है। बताते चले कि स्त्री विमर्श पर यह एक बेहतरीन कथानक की फिल्म है।
साहित्य
- जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
- लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
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