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  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Friday, March 31, 2023

सियासी जंग की शिकार हुई दोस्ती-अखिलेश कुमार अरुण

बचाने वाले से बड़ा न कोय

 

अखिलेश कुमार अरुण
ग्राम हजरतपुर परगना मगदापुर
जिला लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 8127698147

वह भी क्या समय होता था जब लोग दोस्ती में जान दे देते थे. आज का समय ऐसा हो गया है कि लोगों को आदमी तो आदमी पशु-पक्षी और मानव की दोस्ती भी हजम नहीं हो रही है. भाई मैं न सारस के समर्थन में हूँ और न ही उस युवक आरिफ के समर्थन में क्योंकि दोनों ने गलत किया है. यह हमारे और हमारी सरकार के सिद्धांतों के खिलाफ़ है. न मनुष्य सारस से दोस्ती कर सकता है और न सारस मनुष्य से यहाँ सरासर गलती सारस की नहीं आरिफ की है उसने सारस को क्यों बचाया, सारस को नहीं आरिफ को कैद करना चाहिए था क्योंकि इस प्रकार की घटना को कोई और नवयुवक अंजाम न दे सके, मरते तड़पते पशु-पक्षियों को उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि आज के समय में गौतम बुद्ध का हंस, देवदत्त को ही दिया जाना इस बात का प्रमाण है. भले ही इस बात से आप सहमत न हों लेकिन इतना तो जरुर है कि आज भी सरंक्षित वन्यजीवों का शिकार धड़ल्ले से हो रहा है जिसमें कहीं न कहीं देवदत्त इसमें शामिल हैं.

 

गायों के साथ फोटो खिंचाने वाले देखते ही देखते सच्चे गौभक्त बन जाते हैं और जो वास्तव में गायों की सेवा करते हैं उनका कहीं नाम नहीं होता यही हुआ है आरिफ के साथ वन्यजीवों की ब्रांडअम्बेसडर बनी बैठी हैं दिया मिर्जा जिनका जीवों से दूर-दूर का नाता नहीं होगा या एक-दो कुत्ता-बिल्ली पाल रही होंगी और एक से एक अनाम पशु-पक्षी प्रेमी उनके लिए न जाने क्या-क्या करते हैं. आरिफ आज के समय में पशु-पक्षी प्रेमियों के लिए एक उदाहरण बन गया था. उसकी और उसके सारस की दोस्ती उन लोगों के लिए किसी एक ऐसे सन्देश देने से कम नहीं था जो नवयुवकों को पशु-पक्षी काम करता. सारस आरिफ के पास रहता तो कोई गलत नहीं था कहा जाता है कि सारस जिसको चाह जाता है उसके लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देता है यहाँ तक कि अपने प्राण भी तो क्या सारस आरिफ से अलग रहकर जिन्दा रह पायेगा?

 

वन्यजीव सरंक्षण के नाम पर सरकार के बैकडोर से कौन-कौन सा खेला होता है यह किसी को बताने की जरुरत नहीं है.  वन्यजीव सरंक्षण अधिनियम १९७२ के तहत विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी जो विलुप्त होने की कागार पर हैं उनको सरंक्षित किया गया है उसमें से एक साईबेरियन सारस भी शामिल हैइस अधिनियम को तब लाया गया था जब हमारे देश में प्राचीन समय में शौक के लिए और अंग्रेजी हुकूमत में व्यापार के लिए बड़े पैमाने पर पशु-पक्षियों का शिकार किया जाने लगा जो १९ वीं शताब्दी के अंत तक आते-आते कई प्रकार के जीवों के आस्तित्व को समाप्त करने की अंतिम सीमा पर था तब १९७२ में पशु-पक्षियों के शिकार पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए इस क़ानून को लाया गया तथा २००३ में इसको विस्तारित करते हुए दंड और सजा की समयावधि को और बढ़ा दिया गया.


वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का मुख्य उद्देश्य शिकार पर प्रतिबंध लगाकरउनके आवासों को कानूनी सुरक्षा देकर और अंत में वन्यजीव व्यापार को प्रतिबंधित करके लुप्तप्राय प्रजातियों की शेष आबादी की रक्षा करना है। अधिनियम में अंकित शब्दों के विपरीत आरिफ और सारस की दोस्ती थी क्योंकि आरिफ सारस को घायल अवस्था में पाता है और उसकी सेवा-सुस्रुसा से ठीक होकर सारस आरिफ का कायल हो गया था. सारस के आबादी/आवास में आरिफ का आना-जाना नहीं था और नहीं वह उसका व्यापार कर रहा था और न ही ऐसा कोई काम कर रहा था जिससे सारस को कोई शारीरिक क्षति होने की आशंका थी तो ऐसे में कौन सी विपदा आन पड़ी कि आनन-फानन में वन विभाग की टीम इतनी सक्रियता दिखाते हुए सारस को कैद कर पक्षी और मनुष्य की दोस्ती को तार-तार कर दिया.

 

सारस और आरिफ की दोस्ती में होना तो यह चाहिए था कि आरिफ को पशु-पक्षियों के सरंक्षण की कोई बड़ी जिम्मेदारी देते या ब्रांडअम्बेसडर बना देते क्योंकि जहाँ दिया मिर्जा (अभिनेत्री ) को भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट का अम्बेसडर बनाया जा सकता है जिनको जीवों से कुछ नहीं लेना-देना, उत्तर प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन के अम्बेसडर अक्षय कुमार हैं जो विमल पान मसाला का प्रचार-प्रसार करते हैं जिसको खाकर लोग जगह-जगह सरकारी आफिसों की दीवारों को रंग-बिरंगा किये रहते हैं. इन सबसे लाख गुना सही था आरिफ जिसे वन्यजीवों के सरंक्षण के लिए ब्रांड अम्बेसडर बनाकर एक नईं पहल की शुरुआत की जा सकती थी और अधिक से अधिक लोगों को पशु-पक्षियों के प्रति जागरूक किया जा सकता था.

 

लेखक-अखिलेश कुमार अरुण

ग्राम-हजरतपुर, जिला-खीरी

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