(कविता)
(नोट-प्रकाशित रचना इंदौर समाचार पत्र मध्य प्रदेश ११ मार्च २०२५ पृष्ठ संख्या-1 , वुमेन एक्सप्रेस पत्र दिल्ली से दिनांक ११ मार्च २०२५ पृष्ठ संख्या-5)
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अखिलेश कुमार 'अरुण' ग्राम- हज़रतपुर जिला-लखीमपुर खीरी मोबाईल-8127698147 |
डरती है महिला-
पति के न रहने से
मौत तो उसकी अपनी सहेली है.
अपनी मन्नतों में भी-
पति की कुशलता ही मांगती है
सारे वृत्त-त्यौहार करती है
उनकी कुशलता में ही
उसकी ख़ुशी है,
सम्पन्नता है
इज्जत और सम्मान-
अभिमान है.
क्या होता है?
उन महिलाओं का-
जिनके पति
और उसकी बेटी
का बाप नहीं रहता?
नोच खाने को बैठा यह-
आदमी जात
‘महिला दिवस’ की
झूठी शुभकामनाएं
का दंभ भरता है.
शासन में बैठे-
जिम्मेदार भी मुहं फेर लेते हैं.
जब कोई महिला
बदहवास नोच ली जाती है-
मर्दानगी के घुप अँधेरे में’
पत्नी के न रहने से-
जिस दिन पति डरने लगे
मौत का भय न हो.
रात के घने अँधेरे में-
घर से निकलते हुए,
समझ लेना,
महिलाएं-
सशक्त हो चली हैं.
तुम्हारे झूठे इस दिवस की-
बधाई तुम्हे मुबारक हो
हे! महिला के पुरुष
क्या तुम-
यह कर पयोगे?