साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Friday, November 17, 2023

करो कम ,फैलाओ ज्यादा-सुरेश सौरभ

(हास्य-व्यंग्य) 
  सुरेश सौरभ
निर्मल नगर लखीमपुर-खीरी
उत्तर प्रदेश पिन-262701
मो-7376236066


   पुराने दिनों बात है। उन दिनों 'कर्म ही पूजा है’ के सिद्धांत को मजबूती से अपनी गांठ में बांधकर बड़ी कर्मठता, ईमानदारी से, मैं अपना कार्य किया करता था। लेकिन फिर भी लोगों की मेरे प्रति, यह गलत धारणाएँ बनी हुईं थीं कि मैं अपने कर्म के प्रति उदासीन रहता  हूं, हीलाहवाली करता हूं, ऐसी रोज अनेक मेरी शिकायतें बॉस से हुआ करती थीं। आए दिन बॉस की डांट मुझ पर पड़तीं रहती थी। मैं बहुत परेशान रहता था। क्षुब्ध रहता था। 
  घर में पत्नी बच्चों की किचकिच से बचकर जब ऑफिस आओ, तो बेवजह बॉस की झांड़ सुनो, मेरी जिंदगी किसी बड़ी पार्टी से निकाले गये, उस नेता जैसी हो गई थी, जिसे लाख कोशिशों के बाद भी उसे कोई मंजिल न मिल रही हो,कोई सही ठौर-ठिकाना न मिल रहा हो, कोई  पुरसाहाल न हो। क्या करूँ ? क्या न करूँ ? मेरी दशा चिड़ियाघर में कैद बेचारे निरीह निरुपाय जीव जैसी हो गई थी। हमेशा सोचता रहता था, कैसे अपनी जहन्नुम हो चुकी जिंदगी को जन्नत बनाऊं।
     फिर एक दिन अचानक परमात्मा की मुझ पर असीम कृपा हुई। हर समस्या का समाधान चुटकियों में हल करने वाले, एक संत जी सोशल मीडिया के दरवाजे पर दिखे, उनसे फोन पर रो-गाकर अपनी सारी व्यथा बताई ,तब उन्होंने मिलने के लिए, परामर्श से समाधान के लिए, अपनी ऑनलाइन फीस बताई। मैंने तुरत-फुरत उनकी फीस जमा कर दी। उनसे मिलने का ऑपाइंटमेंट लिया। फिर ढेर सारे फल, मेवा, मिष्ठान आदि लेकर, नियत स्थान, नियत तिथि, नियत समय, संत जी के आश्रम पहुंच गया। संत जी उर्फ बाबा जी ने मुझे अपने एकांत केबिन बुलवाया। मेरी समस्या ध्यान से सुनी। फिर मुझे खूब समझाया। काउंसिलिंग की। फिर मुझे परमार्थ करने के अनेक पुण्य बताते हुए, मेरे कान में कुछ मंत्र फूंकें। जिन्हें अपने तक ही सीमित रखने का आदेश दिया। मैं उनके बताए नेक मार्ग पर चलने लगा। फिर मुझे संत जी के मंत्रों और टोटकों से बहुत लाभ होने लगा। घर से लेकर ऑफिस तक, अपनी फुल बॉडी के अंदर से लेकर बाहर तक, मुझे गुड फील होने लगा। जिंदगी मंगलमय आनंदमय में बीतने लगी। अगर अन्य लोगों से संत जी के मंत्रों की चर्चा करूंगा, तो उन मंत्रों का असर मेरे जीवन से जाता रहेगा। लिहाजा फिर भी मेरा मन नहीं मान रहा है। अपने दिल पर बड़ा सा पत्थर रखकर, एक मंत्र मैं आप से शेअर किए ले रहा हूँ। ...काम करो कम फैलाओ ज्यादा, जी हां इसके आगे और न बताऊंगा। यूँ समझो बॉस की चापलूसी करते हुए ...करो कम फैलाओ ज्यादा तथा संत जी के अन्य टोटकों से अपना जीवन सुखमय और शांतिपूर्वक बीता रहा हूँ। खुशी और मस्ती से राग मल्हार गाते हुए अब अपने दिन सोने जैसे सुनहरे, रातें चांदी जैसी, चांदनी जैसी चम-चम चमकाने लगी हैं।

ग़ज़ल- नन्दी लाल निराश

गजल
नन्दी लाल निराश
गोला गोकर्ण नाथ (खीरी)


 बाजरे के खेत से     बाहर निकलने का समय।
 आ गया है अब चिड़ी के घर बदलने का समय।।

 कुछ दिखाई दी नई  उम्मीद की चढ़ती किरण,
 जो लगा उनको तुम्हारे साथ चलने का समय।।

 गर्दिशी में दिन गुजारे हैं     कई सालों से अब,
 बीत आया बैठ खाली  हाथ मलने का समय।।

 चेतना के स्वर जहन में    यार के मुखरित हुए ,
 मिल गया सरकार से जो फिर सँभलने का समय।।

 गर्म जोशी से हवाएँ     चल रही मद मस्त अब,
 क्या फिजा में लग रहा पर्वत पिघलने का समय।।

 तेल, बाती, दीप ,झालर    से सजा दीवाल, घर,
 आ गया दीपावली के  दीप   जलने का समय।।

 फिर लगायेंगे हवा में    गाँठ करतब बाज, है
 पूड़ियाँ सुखी कढ़ाई     बीच तलने का समय।।

नीरू की पांडुलिपि हिंदी संस्थान ने की चयनित

साहित्यिकं समाचार

    लखीमपुर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा अनुदान से पांडुलिपि चयन प्रक्रिया के अन्तर्गत गोला गोकर्णनाथ की युवा कवयित्री नीरजा विष्णु 'नीरू' की पांडुलिपि 'लिखेंगी इतिहास चिरैया' का चयन हुआ है। यह जानकारी संस्थान की संपादक अमिता दूबे ने पत्र द्वारा दी। नीरजा की कविताएँ निरंतर प्रकाशित होती रहती हैं। इनकी मार्मिक कविताएँ सोशल मीडिया पर वायरल भी होती रहीं हैं। कविता वाचन एवं प्रकाशन में नीरू ने साहित्य जगत में विशिष्ट पहचान बनाई है। हिंदी संस्थान से कविता संग्रह की पांडुलिपि चयनित होने के लिए नंदी लाल, द्वारिका प्रसाद रस्तोगी, लघु कथाकार  सुरेश सौरभ, विकास सहाय अखिलेश कुमार अरुण, रमाकांत चौधरी, श्याम किशोर बेचैन ,आदि साहित्यकारों ने नीरजा को बधाई दी है। 
प्रेषक-अंजू

Tuesday, November 07, 2023

लिक्खेगी इतिहास चिरैया-नीरजा विष्णु 'नीरू'

नीरजा विष्णु 'नीरू'
कविता 
नन्हें पंखों से नापेगी 
यह पूरा आकाश चिरैया 
नहीं सुनेगी किसी बाज की 
अब कोई बकवास चिरैया।।

उसको है मालूम घरौंदा 
अपना स्वयं बनाना होगा,
फिर सारे झंझावातों से भी 
खुद   उसे   बचाना  होगा 
सुख-दुःख से आगे जाने का 
कर लेगी अभ्यास चिरैया।

नहीं सुनेगी किसी बाज की 
अब कोई बकवास चिरैया।।

जब दुनिया नफरत बोयेगी 
तब भी वह बस प्यार रचेगी,
नीले अम्बर की फुनगी पर 
सपनों का संसार रचेगी
हारों के भीतर भर देगी 
जीवन का उल्लास चिरैया।

नहीं सुनेगी किसी बाज की 
अब कोई बकवास चिरैया।।

आज भले ही कैद करो तुम 
या फिर उसके पर काटो,
ऊँच-नीच और लिंग भेद का 
कितना ही कचरा पाटो,
जगवालों! इक रोज गगन पर 
लिक्खेगी इतिहास चिरैया ।

नहीं सुनेगी किसी बाज की 
अब कोई बकवास चिरैया।।

जब तक चुप है; तब चुप है,
पर जब शौर्य  दिखाएगी..
हार नहीं मानेगी; जिस दिन 
जिद पर वो आ जाएगी..
बोल उठेगा तिनका-तिनका 
वाह! वाह! शाबाश चिरैया
नन्हें    पंखों    से   नापेगी 
यह  पूरा  आकाश  चिरैया।

नहीं सुनेगी किसी बाज की 
अब कोई बकवास चिरैया।

बुद्ध स्तुति-डॉ० कैलाश नाथ

डॉ० कैलाश नाथ
 (प्राचार्य) 
डॉ० भीमराव अम्बेडकर पी०जी० कॉलेज, 
मुराद नगर (पतरासी) लखीमपुर खीरी। 
मो- 9452107832 



!! बुद्ध स्तुति !!

हे बुद्ध ! हे बुद्ध ! हे बुद्ध ! हे बुद्ध ! 
जैसे जगे आप हमको जगा दो, 
महाज्ञानी हो ही मुझे ज्ञान दे दो ।
एक बार फिर से आ जाओ भगवन्, 
वट छाँव में ज्ञान- सुरसरि बहा दो ।

हे बुद्ध ! हे बुद्ध ! हे बुद्ध ! हे बुद्ध ! 
दुख ही दुख है पूरे जगत में, 
सुधामय वाणी का मंत्र दे दो ।
ज्ञान-ज्योति दिखा दो भटकते मनुज को,
पंचशील का मर्म हमको बता दो।

हे बुद्ध ! हे बुद्ध ! हे बुद्ध ! हे बुद्ध ! 
दुनिया ने जाना सबने है माना,
तथागत के बोल अमृत समाना। 
कला जीवन की जीना सिखाया,
अष्टम् मार्ग क्या है हमें भी बता दो ।

 हे बुद्ध ! हे बुद्ध ! हे बुद्ध !हे बुद्ध ! 
मेरी आज विनती तुमसे यही है,
पड़ी भीर भारी मनुज के है ऊपर । 
विपदा हरौ है व्यथित आज जन-जन, 
कर दो दया राह भटके जनों पर ।

हे बुद्ध ! हे बुद्ध ! हे बुद्ध ! हे बुद्ध !



पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

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