साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Tuesday, February 01, 2022

भूल -सुरेश सौरभ

  (लघु कथा)
सुरेश सौरभ 
"मम्मी तुम्हें  कितनी बार समझाया है कि दो परांठे ही बांधा करो, पर तुम हो कि तीन-चार ठूंस-ठूंस कर बांध देती हो",जल्दी-जल्दी टिफिन बस्ते में रखते हुए, खींजते हुए, मोहित बोला। फिर सामने खड़े स्कूल रिक्शे में बैठ कर, मम्मी से बाय-बाय करने लगा। रिक्शा चल पड़ा। जाते रिक्शे को देख, मम्मी मुस्कुराई फिर बुदबुदाई-क्योंकि मेरी भी मां अनपढ़ थी, और तेरी पढ़ी-लिखी मां भी अनपढ़ है, इसलिए गलती से परांठे गिन नहीं पाती।

निर्मल नगर लखीमपुर-खीरी
उत्तर प्रदेश
मो-7376236066
पिन-262701

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पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

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