साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Wednesday, July 05, 2023

सामाजिक न्याय (आरक्षण) सम्बन्धी बेहद संवेदनशील और गम्भीर विषय-नन्दलाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर)

नंदलाल वर्मा (सेवानिवृत्त ए0 प्रो0)
युवराज दत्त महाविद्यालय, खीरी
आरक्षण है तो आखिर किसके लिए?????
पढ़िए इस मुद्दे पर सेवानिवृत्त प्रोफेसर एन०एल० वर्मा जी का महत्त्वपूर्ण लेख
      लाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर पद हेतु होने वाले साक्षात्कार की श्रेणी वार जारी कट ऑफ सूची: 
अनारक्षित या सामान्य वर्ग: 141.5
अनुसूचित जाति              :  237.5
ओ.बी.सी.                       : 270.5
---------------------------------------------------------
        आरक्षित श्रेणी (एससी और ओबीसी) के सामाजिक न्याय की आरक्षण व्यवस्था के जानकारों और जिम्मेदारों से जानना चाहता हूँ कि उपरोक्त जारी सूची बनाने में मनुवादियों ने किस तरह की दिमागी गणित लगायी है? आरक्षण व्यवस्था लागू करने में सुनिश्चित है कि अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की कट ऑफ के बराबर या उससे कम/नीचे अंकों से आरक्षित वर्ग (एससी और ओबीसी) के अभ्यर्थियों की सूची शुरू होती है और निर्धारित न्यूनतम योग्यता अंक तक जाती है। अनारक्षित या सामान्य वर्ग की सूची में अनारक्षित और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों में बिना भेदभाव किये कुल 50% अनारक्षित रिक्त पदों पर अनारक्षित वर्ग के 50%पदों के लिए सूची जारी की जाती है, अर्थात अनारक्षित वर्ग की सूची विशुद्ध रूप से मेरिट के आधार पर बनाये जाने की व्यवस्था है जिसमें अभ्यर्थियों की विशुद्ध मेरिट क्रमांक के आधार पर अनारक्षित और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी शामिल किए जाते हैं। इसके बाद आरक्षित वर्ग (एससी 21% और ओबीसी 27%) के अभ्यर्थियों की अलग-अलग उनकी मेरिट क्रमांक के आधार पर निर्धारित न्यूनतम योग्यता अंक तक बनाई जाती है। आरक्षण विरोधी शातिर शक्तियों द्वारा उपरोक्त जारी सूची में जिस फार्मूले को प्रयोग कर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षण से वंचित करने की जो साजिश रची है, उस साजिश को आरक्षित वर्ग के कितने जागरूक और जिम्मेदार लोग समझ रहे हैं, वे मुझसे संपर्क और संवाद कर सकते हैं। जो इस साजिश को नहीं समझ पा रहे हैं, ऐसे जिज्ञासु विशेषकर मुझसे संपर्क और संवाद स्थापित कर इसमें छिपी साज़िश को समझने का कष्ट करें। गलत तरीके से आरक्षण लागू करने और निजीकरण से आरक्षित वर्ग के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। उपरोक्त सूची तैयार कर आरक्षण लागू करने में आरक्षण विरोधियों द्वारा एक अत्याधुनिक तकनीक को ईजाद किया गया है जिससे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को उनके निर्धारित आरक्षण प्रतिशत की सीमा तक समेटा जा सके। 69000 प्राथमिक शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के लगभग 19000 पदों के आरक्षण को अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को दे दिया गया है जिसमें मा. उच्च न्यायालय ने निर्णय देकर यूपी सरकार को 50% आरक्षण देते हुए 69000 पदों की संशोधित सूची जारी करने का निर्देश भी दिया है, लेकिन राज्य सरकार आज तक संशोधित सूची जारी नहीं कर पाई है। आरक्षित वर्ग के लगभग 19000 पदों पर अनारक्षित/ सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी नौकरी कर प्रति माह लगभग 50000 रुपये वेतन (कुल 95करोड़ रुपए प्रति माह) पाकर अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत कर रहे हैं और आरक्षित वर्ग के वंचित अभ्यर्थी अपने हक के लिए सरकार,सड़क और कोर्ट कचहरी में भिखारियों की तरह गिड़गिड़ा रहे हैं और इस आरक्षण महाघोटाले पर सामाजिक न्याय की राजनीति करने वाले दल पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं। आरक्षित वर्ग के जागरूक और संवेदनशील नागरिकों को आरक्षण विरोधी सरकारों को सत्ता से बेदखल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहिए।

No comments:

पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

सबसे ज्यादा जो पढ़े गये, आप भी पढ़ें.