साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Wednesday, March 26, 2025

मौत और महिला-अखिलेश कुमार अरुण

(कविता)

(नोट-प्रकाशित रचना इंदौर समाचार पत्र मध्य प्रदेश ११ मार्च २०२५ पृष्ठ संख्या-1 , वुमेन एक्सप्रेस पत्र दिल्ली से दिनांक ११ मार्च २०२५  पृष्ठ संख्या-5)

अखिलेश कुमार 'अरुण' 
ग्राम- हज़रतपुर जिला-लखीमपुर खीरी 
मोबाईल-8127698147


डरती है महिला-

पति के न रहने से

मौत तो उसकी अपनी सहेली है.

अपनी मन्नतों में भी-

पति की कुशलता ही मांगती है

सारे वृत्त-त्यौहार करती है

उनकी कुशलता में ही

उसकी ख़ुशी है,

सम्पन्नता है

इज्जत और सम्मान-

अभिमान है.

 

क्या होता है?

उन महिलाओं का-

जिनके पति

और उसकी बेटी

का बाप नहीं रहता?

नोच खाने को बैठा यह-

आदमी जात

‘महिला दिवस’ की

झूठी शुभकामनाएं

का दंभ भरता है.

शासन में बैठे-

जिम्मेदार भी मुहं फेर लेते हैं.

जब कोई महिला

बदहवास नोच ली जाती है-

मर्दानगी के घुप अँधेरे में’

 

पत्नी के न रहने से-

जिस दिन पति डरने लगे

मौत का भय न हो.

रात के घने अँधेरे में-

घर से निकलते हुए,

समझ लेना,

महिलाएं-

सशक्त हो चली हैं.

तुम्हारे झूठे इस दिवस की-

बधाई तुम्हे मुबारक हो

हे! महिला के पुरुष

क्या तुम-

यह कर पयोगे?

पढ़िये आज की रचना

शेर का परिवार-अखिलेश कुमार अरुण

  व्यंग्य   (दिनांक ११ सितम्बर २०२५ को मध्यप्रदेश से प्रकाशित इंदौर समाचार पत्र पृष्ठ संख्या-१०) अखिलेश कुमार 'अरुण'  ग्राम- हज़...

सबसे ज्यादा जो पढ़े गये, आप भी पढ़ें.