साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Saturday, September 07, 2024

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा) 



    एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचारों और संस्कारों से पुष्पित और पल्लवित करते हैं । शिव सिंह 'सागर' की हाल ही में रिलीज हुई एक शॉर्ट फिल्म  "झूठी" इन दिनों बेहद चर्चा में है, शॉर्ट फिल्म झूठी का कथानक भी कुछ इस तरह का है, जो शिक्षा जगत में विमर्श का विषय बना हुआ है, एक अध्यापक एक बच्चे राहुल को जब कक्षा में कमजोर पाता है, तब उसे वह एक पर्ची लिखकर देता है और वह कहता है कि यह पर्ची अपनी मां को देना‌। बच्चा वह पर्ची अपनी मां को देता है। माँ पर्ची देखती है। उस पर्ची में लिखा होता है,आपका बच्चा दुनिया का सबसे मूर्ख बालक है, इसे अगले दिन से स्कूल में न भेजें। लेकिन वह मां हिम्मत नहीं हारती है और अपने बच्चे से कहती है कि इस पर्ची में लिखा है कि मेरा बेटा बहुत होशियार है। संसार में आज भी द्रोणाचार्यों की कमी नहीं  हैं, जिनकी वजहों से अनेक एकलव्यों के अंगूठे काटे जा रहा  हैं। फिर वह हिम्मती मां अपने बेटे को खुद पढ़ाना शुरू करती है और पढ़ते-पढ़ते एक दिन वह अपने बेटे को इस काबिल बनती है कि उसका बेटा पुलिस का एक जिम्मेदार अधिकारी बन जाता है। 
     पुलिस अधिकारी बनने के बाद जब वह बेटा घर आता है। तब उसकी मां इस दुनिया में से  गुजर चुकीं होती हैं। किसी काम से वह अपनी माँ का एक पुराना बक्सा खोलता है, जिसमें से एक पर्ची निकलती है, उसे याद आया, अरे! यह तो वहीं पर्ची है, जो वर्षों पहले मेरे मास्टर जी ने मेरी मां के लिए दिया था। उस पर्ची को देखा है उसमें लिखा था "आपका बेटा दुनिया का सबसे मूर्ख लड़का है और इसे कल से स्कूल न भेजें।" वह अपनी मां को याद करता है ,भावुक हो जाता है और बुदबुदाता है-'मां तुम सचमुच मेरे लिए भगवान हो।' कहानी वाकई दिल को छूने वाली है।  निम्न मध्यम वर्गीय परिवार पर आधारित इस फिल्म में एक स्त्री के संघर्ष को दिखाया गया है। जिसका पति शराबी है, फिर भी वह अपनी सूझबूझ से द्रोणाचार्य जैसे गुरुओं का डटकर सामना करते हुए अपने बेटे को पढ़ा-लिखा कर अफसर बना देती है। यह मातृ शक्ति का ही कमाल है, जो कोयले को हीरा बना देती है। सब कलाकार  बहुत ही उम्दा तरीके से फिल्म में अभिनय करते नजर आते हैं,किरदार के रूप में आर. चंद्रा, अमित श्रीवास्तव, अनीता वर्मा, प्रियांश गुप्ता, अमन शर्मा, ओम् प्रकाश श्रीवास्तव, आदि लोग लघु फिल्म में नज़र आए हैं। इसके अलावा कैमरा मैन डी. के.,फोटोग्राफी और एडिटर के. आमिर हैं। अर्पिता फिल्म्स इंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी, यह लघु फिल्म आजकल खासी चर्चा में है। शिव सिंह 'सागर' इस फिल्म के लेखक, निर्माता, निर्देशक हैं। छंगू भाई, कबाड़ी, पापा पिस्तौल ला दो, रक्षक, फंस गया बिल्लू, डुबकी जैसी अनेक बेहतरीन कथानकों की लघु फिल्मों का निर्देशन करने वाले 'सागर' जी फतेहपुर के युवा कवि एवं  शायर हैं।

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चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

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