-अखिलेश कुमार 'अरुण'
साहित्य
- जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
- लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
Tuesday, October 13, 2020
सुंदरियाँ गलत हाथों में हैं
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पढ़िये आज की रचना
शेर का परिवार-अखिलेश कुमार अरुण
व्यंग्य (दिनांक ११ सितम्बर २०२५ को मध्यप्रदेश से प्रकाशित इंदौर समाचार पत्र पृष्ठ संख्या-१०) अखिलेश कुमार 'अरुण' ग्राम- हज़...
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नीरजा विष्णु 'नीरू' कविता नन्हें पंखों से नापेगी यह पूरा आकाश चिरैया नहीं सुनेगी किसी बाज की अब कोई बकवास चिरैया।। उसको है मालूम...
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