साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Saturday, February 20, 2016

क्या है? देशभक्ति

                              क्या है? देशभक्ति   

मैं चाहता हूँ कि मुझे भी राष्ट्र द्रोही करार दिया जाय मेरे पर भी मुकदमा चलाया जाय मैं आप सब  से खुश होऊंगा. अच्छा होता कि लोग देशभक्ति का मतलब समझ पाते एक सम्प्रदाय विशेष  के लोग ही देशभक्ति का दम्भ क्यों भरते है, हम तो कहते हैं इसे देशभक्ति नहीं धर्मभक्ति की संज्ञा दे दी जाय देशभक्ति की  बात तब की जाती है जब देश के सभी धर्मों के लोग एक मंच पर आ कर देशहित के लिए अपना सर्वस्व लुटा दें चूँकि हमारा देश धर्मों का देश है उनका सरंक्षक और पोषक भी है सभी समान रूप से देशभक्ति का दावा करते हैं. देशभक्ति हम उसे कहते हैं जब देश की आजादी के लिए सब लोग एकजुट हो गए थे  चाहे वह किसी भी धर्म विशेष का क्यों न हो. जिसमे सर्वप्रमुख थे जवाहर, गाँधी ,अम्बेडकर,जिन्ना ,भगत ,आजाद, अबुल कलाम, गफ्फार, आदि-आदि और अन्य  भी जो अनाम ही देश के लिए मर मिटे उसमें उस देश के भी लोग थे जो आज हमारा पड़ोसी देश के नाम से जाना जाता है. देश आजाद कराने में जितना योगदान जवाहर गाँधी का है उतना हक़ जिन्ना ,कलाम, गफ्फार का भी है .जिन्ना जिन्दा थे तो पाकिस्तानी हो गए अब उनका जय घोष किया जाना भारत में देशद्रोह है और वहीं भगत सिंह भारत के आजाद होने से पहले ही शहीद हो गए नहीं तो वह भी कहीं जिन्दा होते तो पाकिस्तान चले जाते और उनका भी नाम लिया जाना भारत में देशद्रोह हो जाता जिसके नाम का माला राष्ट्र्पर्वों पर बड़े गर्व से लिया जाता है क्या है देशद्रोह किसी दूसरे देश का नाम लिया जाना देश द्रोह है. ये कैसी देशभक्ति है जो पूरे जीवन देश में रह कर पढ़ा लिखा काबिल बना जब देश को उस से कुछ चाहिए था तो दुसरे वतन में जाकर वहीँ का हो गया क्या यह देशद्रोह नहीं है कुछ समय अंतराल पर अपन वतन लौटे तो उसके मुख से निकालता है छि -छिः स्याला ....कंजरों का देश यह देश द्रोह नहीं है. और जो लोग भारत में पढ़ लिख कर अपने अधिकार की लडाई लड़ते हैं वह देशद्रोह है अपने बाप से अपना हक़ मांगना देशद्रोह है ...तो ऐसा देश द्रोह हमें भी करना है. देश के नेत्रत्वकर्ता देश से भावनात्मक खेल खेल रहें हैं मूल समस्याओं पर मिटटी डालने का काम कर रहे हैं. उनके एजंडे से बेरोजगारी, बेकारी, भुखमरी, अशिक्षा, कुपोषण, किसानों की आत्महत्या, नारी सुरक्षा आदि-आदि  गायब है. इस पर कहीं कोई बहस नही होता अमीर-गरीब के बीच दिनों -दिन  दूरी बढ़ती जा रही है. वह चाहे शिक्षा में हो रुपये पैसे में हो ,सुख-सुविधा में हो या उनके जीवन में हो रहे विकाश की बात की जाय कुछ लोग खा -खा के मर रहें हैं तो कुछ बिना खाए ही मर रहें हैं.
शिक्षा व्यवस्था की हालत ढचर-मचर हो चुकी है लाखो युवा हाई स्कूल-इंटर किये छात्र नाकामी के शिकार हैं ज्ञान के नाम पर जीरो, स्नातक बेरोजगारी की पराकाष्ठा पर है चपरासी के पद पर जूतम-पैजार हो रहें हैं . नेताओं-राजनेताओं को चीखना चिल्लाना है तो इन  समस्याओं पर चीखे-चिल्लाएं जिससे देश और समाज का भला हो लोग देशभक्ति के असली महत्व को समझ सकें. देशभक्ति का गुण तभी गया जा सकेगा जब देश उसके हित की भी बात करे अन्यथा .... जिस घर (देश) में सुख-शांति, अमन- चैन,सुरक्षा नहीं वः देश काहे का देश और उसकी देशभक्ति किस काम की यहाँ तो अंधेर नगरी चौपट राजा की दसा हो गयी है विना किसी साक्ष्य के देशद्रोह का मुक़दमा चलाया जा रहा है क़ानून के रक्षक ही कानून के भक्षक बी बैठे है .
 रुपये पैसे और मान-सम्मान  के लिए तो लोग क्या से क्या कर जाते है और वही जब लोगों को न मिले तब तो उसकी भक्ति किस काम की देश के खेवनहारों  से अपील है देश की भावना नहीं संभावना से खेलो, देश तुम्हारा ही नहीं सबका है और सबकी सोच अलग अलग है और इसी के साथ देशभक्ति का नजरिया भी अलग है. जहाँ तुम्हारे  देशभक्ति हमारी देशभक्ति से इतर......
आज के समय में चंद लोगों से देशभक्ति की परिभाषा गढ़ने को दे दिया जाय तो लिखेंगे देशभक्ति अर्थात - जब धार्मिक छुआ-छूत, ऊँच-नींच, स्त्रियों और शूद्रों का मंदिर प्रवेश वर्जित तथा शिक्षा से वंचित  इत्यादि को ही देशभक्ति कहते हैं और इसे न मानने वालों को देशद्रोही.
प्रिय पाठकों सच्चे दिल से कह रहा हूँ देशभक्ति की कोई परिभाषा नहीं हो सकती स्वतंत्र रूप से जो जैसे चाहे वैसे देश से प्यार करे यही सच्ची देश भक्ति है. और देशद्रोह की लाखो परिभाषाएं हैं.
                                                        ......एक देशभक्त
                                                                                                                           अखिलेश कुमार अरुण 

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